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    06.06.2023 : हिंदवी स्वराज के संस्थापक श्री छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक समारोह के 350 वें वर्ष के अवसर पर विशेष डाक टिकट का विमोचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘शिव वंदना’ का आयोजन

    Publish Date: June 6, 2023

    हिंदवी स्वराज के संस्थापक श्री छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक समारोह के 350 वें वर्ष के अवसर पर विशेष डाक टिकट का विमोचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘शिव वंदना’ का आयोजन

    श्री एकनाथ शिंदे, सम्मानित मुख्यमंत्री

    श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री

    श्री राहुल नार्वेकर, अध्यक्ष, विधान सभा

    श्री सुधीर मुनगंटीवार, सांस्कृतिक कार्य मंत्री

    श्री मंगल प्रभात लोढा, पर्यटन, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री

    श्री दीपक केसरकर, पालक मंत्री, मुंबई

    श्री विकास खारगे जी, प्रधान सचिव, सांस्कृतिक कार्य विभाग

    श्रीमती स्वाती पांडे, पोस्ट मास्टर जनरल, मुंबई विभाग

    अतिथिगण,

    देवियो और सज्जनों,

    छत्रपति शिवाजी महाराज के 350 वें राज्याभिषेक समारोह में आप सभी के साथ उपस्थित होने पर अत्यंत खुशी और गर्व महसूस हो रहा है।

    मुझे जानकर प्रसन्नता हुई कि डाक विभाग इस अवसर पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी कर रहा है।

    हम भाग्यशाली हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के साक्षी बन रहे हैं और ३५० वर्ष पूर्व हुए महाराज के राज्यारोहण की यादों को ताजा कर रहे हैं।

    छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में समर्थ रामदास जी लिखते है:

    निश्चय के महामेरु। अनगिनत लोगों के संरक्षक।
    अचल स्थिति में अविचल। श्रीमंत योगी।

    श्री शिवाजी महाराज भारत माता के महा नायक हैं जिनका जीवन और कार्य महाराष्ट्र और भारत के लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायक है।

    शिवाजी महाराज एक दयालु राजा, एक दूरदर्शी नेता, एक फील्ड मार्शल, एक युद्ध रणनीतिकार और लोगों के अपने राजा थे।

    मुगल शासन के तहत, हमारा समाज घोर निराशाजनक रूप से विभाजित था।

    राजमाता जिजाऊ, समर्थ रामदास और भारत के अन्य संतों के आदर्शों से प्रेरित होकर छत्रपती शिवाजी महाराज ने लोगों की सुप्त चेतना को जगाया और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि सबसे शक्तिशाली मुगलों को हराना संभव है।

    शिवाजी महाराज ने किसानों और श्रमिकों के समाज को इकठ्ठा करके एक शानदार फाइटिंग फोर्स बनाया।

    महाराज ने सन 1646 में आदिल शाही सल्तनत से तोरणा किले पर कब्जा कर लिया।

    फिर प्रतापगढ़ की लड़ाई में, उन्होने बीजापुर सल्तनत के प्रतिनिधी अफजल खान को हराया।

    जिस काल में शिवाजी महाराज ने मुगल साम्राज्य को चुनौती दी थी, तब मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था।

    शिवाजी महाराज ने तमिलनाडु में तंजावोर तक अपना साम्राज्य का विस्तार किया।

    शिवाजी महाराज ने न्याय प्रणाली और राजस्व संग्रह में सुधार किया और नागरिक कल्याण को प्राथमिकता दी।

    अपनी सोच में कई गुना आगे रहने वाले दूरदर्शी शिवाजी महाराज ने सूरत से चलाए जा रहे ‘कलोनियल उद्यम’ जरिए धोखे को सबसे पहले पहचाना और उन्हे गंभीरता से लिया।

    ईस्ट इंडिया कंपनी के मंसूबों को भांपते हुए उन्होने सूरत पर आक्रमण किया।

    दुर्भाग्यवश शिवाजी महाराज अपने राज्याभिषेक के बाद केवल छह वर्ष और जीवित रहे।

    अगर शिवाजी महाराज 20 साल और जीवित रहते, तो निश्चित ही भारत का इतिहास पूरी तरह से अलग होता।

    उनकी मृत्यु के 7 साल बाद ही ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना मुख्यालय मुंबई में स्थानांतरित कर लिया, जिसके बाद कंपनी ने शोषण और लूट के एक युग का अनावरण किया।

    दूरदर्शी शिवाजी महाराज ने अपनी नौसेना बनाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कई अभेद्य किलों का निर्माण और किलेबंदी भी की। छत्रपति शिवाजी महाराज के अधूरे कार्य को छत्रपति संभाजी महाराज और उनके उत्तराधिकारियों ने आगे बढ़ाया।

    छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और कार्यों को याद करते हुए हमें सरखेल कान्होजी आंग्रे के शौर्य और बलिदान को भी याद करना चाहिये। कान्होजी आंग्रे ने पुर्तगालियों और ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को मजबूती से काबू में रखा था।

    उसी तरह बाजीराव पेशवा की बहादुरी और वीरता को भी नहीं भूला जा सकता है जिन्होंने कई युद्ध जीते और गुजरात, मालवा, राजपूताना और बुंदेलखंड में मराठा साम्राज्य की स्थापना की।

    महाराष्ट्र की यही वीर परम्परा है कि राज्य ने स्वाधीनता आन्दोलन में राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान किया।

    महाराष्ट्र की वीर भूमि से लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर और कई अन्य क्रांतिकरियों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

    आइए, हम छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक समारोह से प्रेरणा लेकर महिलाओं के सम्मान, सभी धर्मों और पंथों के सम्मान और नागरिकों के कल्याण के लिए उनके आदर्शों को बनाए रखने का प्रयास करें।

    मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि वे महाराष्ट्र के किलों के रखरखाव और जीर्णोद्धार के लिए एक योजना तैयार करें।

    दिनांक 1 मई 1960 को महाराष्ट्र के गठन के समय, महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना को मनाने के लिए स्वर्ण और रजत पदक निकाले थे। श्रीमंत योगी छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वें वर्ष के उपलक्ष्य में भी पदक निकालने पर विचार किया जाना चाहिए।

    मैं इस अवसर पर एक विशेष आवरण प्रकाशित करने के लिए डाक विभाग को धन्यवाद देता हूँ और आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए सांस्कृतिक कार्य मंत्री को धन्यवाद देता हूं।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।। जय भवानी। जय शिवाजी।।