25.09.2023 : स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का 26 वा दीक्षांत समारोह
स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का 26 वा दीक्षांत समारोह दिनांक 25 सितम्बर 2023
श्री बी सरवणन, उत्कृष्ट वैज्ञानिक एवं निदेशक, परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, परमाणु ऊर्जा विभाग
डॉ उद्धव भोसले, कुलपती, स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विश्वविद्यालय नांदेड
डॉ जोगेंद्र सिंह बिसेन, प्रो वाइस चांसलर
डॉ. सर्जेराव शिंदे, कुलसचिव
डॉ दिगम्बर नेटके, निदेशक, परीक्षा एवं मूल्यांकन बोर्ड
विश्वविद्यालय के प्रबंधन परिषद के सदस्य
शिक्षक, अभिभावक, स्टाफ,
स्नातक छात्र – छात्राएं,
स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होने के नाते विश्वविद्यालय के २६ वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है ।
वास्तव में आज मैं नांदेड़ में आपके विश्वविद्यालय में आकर, इस खुशी के दिन आप सभी से मिलने, और बातचीत करने के लिए उत्सुक था।
लेकिन, कुछ आवश्यक व्यस्तताओं के कारण मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सका, इसका मुझे खेद है।
आज उपाधि तथा मेडल्स प्राप्त कर रहे सभी छात्र – छात्राओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
स्नातक समारोह के इस महत्वपूर्ण दिन पर मैं आपके माता-पिता, भाई-बहनों और शिक्षकों का भी अभिनंदन करता हूं।
यह दिन उन माता-पिता के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनके परिवार में आप पहले स्नातक हैं।
विश्वविद्यालय ने आठ दिन पहले ही, अपनी स्थापना के उन्तीस वर्ष पूरे किये है । इस अवसर पर मै विश्वविद्यालय का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
स्वामी रामांनंद तीर्थ का नाम इस विश्वविद्यालय को दिया गया है।
स्वामी रामानंद तीर्थ एक महान स्वतंत्रता सेनानी और हैदराबाद मुक्ति संग्राम के पुरोधा थे। इस वर्ष हम मराठवाडा मुक्तिसंग्राम का अमृत महोत्सव मना रहे है । आज के इस अवसर पर मै स्वामी रामानंद तीर्थ के पुण्य स्मृति को अभिवादन करता हूं और भावाभिनी श्रद्धांजली अर्पण करता हू।
पिछले ही हप्ते, हमारे देश में ऐतिहासिक महिला आरक्षण कानून पारित हुआ है ।
जैसा कि माननीय प्रधान मंत्री ने ठीक ही कहा है, “कुछ निर्णय किसी देश के भविष्य की दिशा बदल सकते हैं। नारी शक्ति वंदना विधेयक का सफल पारित होना ऐसा ही एक निर्णय है।” इस निर्णय ने महिलाओं के राजनीतिक समावेशन का द्वार प्रशस्त कर दिया है ।
स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय ने देश को शीर्ष न्यायविद, वकील, सांसद, डॉक्टर्स, सामाजिक कार्यकर्ता और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग दिए हैं।
विश्वविद्यालय के अनेक पूर्व छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में, देश तथा विदेश में असाधारण योगदान दिया है ।
विश्वविद्यालय का भौगोलिक विस्तार सराहानीय है । मुझे ज्ञात किया गया है कि, विश्वविद्यालय के लातूर और परभणी में उप-केंद्र है, हिंगोली में मॉडल डिग्री कॉलेज है, तथा किनवट में जनजातीय अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र है।
कुलपती डॉ उद्धव भोसले के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने पिछले 4 वर्षों में विश्वविद्यालय परिसर में जल संरक्षण और पर्यावरण को लेकर बहुत अच्छा काम किया है।
छोटे-बड़े तालाबों के निर्माण से विश्वविद्यालय एवं इसके आसपास जल स्तर बढ़ गया है। यह पहल निश्चित ही बाकी विश्व विद्यालयों के लिए अनुकरणीय है ।
प्रिय स्नातक छात्रो,
एक समय था जब युवाओं के लिए कैरियर के विकल्प सीमित थे। आम तौर पर स्नातक शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर बनते थे।
आज हमारे समाज में बहुत परिवर्तन आ रहा है। युवाओं के सामने कैरियर के अनगिनत विकल्प हैं। पहले उद्योग शुरु करना भी कठिन था । लोन मिलना लगभग ना मुमकिन था। अधिकतर लोग नौकरी करना पसंद करते थे ।
पहले हम इतने वर्षों तक जिस शिक्षा नीति का पालन करते थे, वह मोटे रूप से ब्रिटिश शासकों द्वारा हमें नौकर बनाए रखने के लिए बनाई गई थी।
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और नेतृत्व की वजह से, हमारे देश में पहली बार एक ऐसी शिक्षा नीति पेश की है जो उद्यमिता, नवाचार, अनुसंधान, रचनात्मक सोच और महत्वपूर्ण चिंतन पर जोर देती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में भारत को एक ‘ज्ञान केंद्र’ के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती है। मुझे खुशी है कि आपका विश्वविद्यालय इस वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए तैयार है।
हमारा लक्ष्य 2030 तक 50 का सकल नामांकन अनुपात हासिल करना है। हालाँकि ऐसा करते हुए, हम शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं कर सकते।
भारत को वैश्विक ज्ञान केंद्र बनने के लिए, हमारे शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर पर तुलनीय होना होगा।
आज दुनिया भर के विश्वविद्यालय छात्रों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए सर्वोत्तम पाठ्यक्रम और छात्रवृत्तियां प्रदान करने की होड़ में हैं। दस लाख से अधिक भारतीय छात्र आज कनाडा, अमरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और 50 अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
समय आ गया है कि हम भी हमारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ छात्रों को आकर्षित करे। अपने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के स्तर तक ऊपर उठाकर इसे हासिल कर सकते हैं।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों द्वारा सर्वोत्तम फैकल्टी की भर्ती पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। हमें अपने विश्वविद्यालयों को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के तरीके और साधन खोजने होंगे ताकि वे सर्वोत्तम फैकल्टी सदस्यों को नियुक्त और बनाए रख सकें।
आज हम वैश्विक कनेक्टिविटी के युग में रहते हैं। विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक कार्यक्रम डिजाइन करने, कुछ सेमेस्टर पूरा करने, पाठ्यक्रम डिजाइन करने, छात्रों और संकाय सदस्यों के आदान-प्रदान के लिए दुनिया के सर्वोत्तम कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ गठबंधन और साझेदारी बनानी चाहिए।
एक समय था जब चीन, जापान, श्रीलंका से लेकर अनेक देशों से लोग भारत में अध्ययन करने आते थे ।आज हम पूरी दुनिया के लिए उत्कृष्ट शिक्षक निर्माण कर सकते है।
हमारे पास जनशक्ति और प्रतिभा है। हमें शिक्षक प्रशिक्षण क्षेत्र में और अधिक छात्रों को आकर्षित करके विश्व के लिये अधिक शिक्षक तैयार करने चाहिए।
भारत ने दुनिया को योग से परिचित कराया। अब योग के प्रसार के साथ-साथ भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ योग शिक्षक निर्माणकर्ता भी बनना चाहिए।
आप जिस नये समाज में कदम रख रहे हैं वह एक उद्यमशील समाज है। इसका मतलब यह है कि आपको उद्यमशीलता की भावना से काम करना होगा। आपको एक टीम लीडर और एक प्रवर्तक बनना होगा। हमारे विश्वविद्यालयों को उद्यमिता और नवाचार का केंद्र बनना चाहिए ।
मित्रों,
कई देश कुशल उनकी मानव संसाधन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आज भारत की ओर देख रहे हैं।
जर्मनी, इटली, जापान जैसे देश और उम्रदराज़ जनसंख्या वाले कई अन्य देश उम्मीद कर रहे हैं कि भारत जैसा युवा देश इस अवसर पर आगे आएगा और कुशल नौकरियों की उनकी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
आज समय आया है जब पूरी दुनिया हमारा कार्यस्थल बने। प्रत्येक युवा कम से कम विश्व के एक भाषा सिखे। अपने आप को केवल नांदेड, नागपूर, मुंबई, पुणे या महाराष्ट्र तक ही सीमित न रखें। भारत के किसी भी राज्य और दुनिया के किसी भी छोर तक जाने के लिये तैयार हो जाइए ।
आज यहां उपस्थित अध्यापको को मै बताना चाहता हू कि, ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालयों की महानता उनकी सर्वोत्तम परंपराओं को बनाए रखने और बरकरार रखने की क्षमता में निहित है।
उनकी सफलता ऐसे पाठ्यक्रमों की पेशकश करने में निहित है जो समय से आगे हैं।
उनकी सफलता अपने स्नातकों के बीच आलोचनात्मक सोच और नेतृत्व गुणों को विकसित करने में हैं। यह वही है जिसकी हमें आवश्यकता है और हम चाहते हैं।
आज के युवा विश्वविद्यालय चुनने में बहुत चयनात्मक होते हैं। वे जाँचते हैं कि फैकल्टी मेंबर्स कौन हैं।
दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में अक्सर छात्रो द्वारा शिक्षकों का असेसमेंट होता है। हमारे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी छात्रों द्वारा शिक्षक मूल्यांकन शुरू किया जाना चाहिए।
शिक्षकों की रैंकिंग उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी विश्वविद्यालयों की रैंकिंग। इससे छात्रों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
अमरिका जैसे देशों में कुछ महान वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, लेखक, इतिहासकार और नोबेल पुरस्कार विजेता भी महान विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं।
हमें देश के महानतम उद्योगपतियों, महानतम गायकों, कलाकारों, व्यापारिक नेताओं, कलाकारों को विश्वविद्यालय में आमंत्रित करना चाहिए और विश्वविद्यालय के मार्गदर्शक में उन्हें शामिल करना चाहिए।
समय आ गया है कि हमारे स्नातक भारत को फिर से महान बनाने के लिए उद्यमी, धन के निर्माता और स्टार्टअप के निर्माता बनें।
प्रशासन सुधार पर हमारे सभी विश्वविद्यालयों को बहुत ध्यान देना चाहिये । विश्वविद्यालयों को छात्रों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। मैं विश्वविद्यालय से छात्र-केंद्रित होने का आग्रह करता हूं।
स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय अपने कुछ विभागों में उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है।
मैं कामना और आशा करता हूं कि विश्वविद्यालय अपने विभिन्न विभागों और महाविद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सलन्स में रूपांतरित करेगा।
विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर मै स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय को राष्ट्र के लिए सेवाओं के लिए बधाई देता हूं और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
जय हिन्द ।
जय महाराष्ट्र ।।