31.07.2023 : श्रीमद भागवत कथा (पुरुषोत्तम मास) परम पूज्य स्वामी श्री गिरीशानंद जी महाराज, नारायणी धाम लोनावला
श्रीमद भागवत कथा (पुरुषोत्तम मास) परम पूज्य स्वामी श्री गिरीशानंद जी महाराज, नारायणी धाम लोनावला, दिनांक ३१ जुलै २०२३
स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज
कथा संयोजक श्रीमती सीमा नंदकिशोर टिबरेवाल
श्रीमती रीमा महेश तुल्स्ययान
श्री तुषार त्रिवेदी
श्रीमद्भागवत कथा प्रेमी
भक्तगण
बहनों और भाइयों
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।।
परम पूज्य ब्रह्मलीन स्वामी श्री अखंडानन्द जी सरस्वती महाराज की अनुकम्पासे अनुग्रहित उनके शिष्य श्रेष्ठ भागवताचार्य पूज्य श्री गिरीशानंद जी सरस्वती महाराज द्वारा प्रस्तुत श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना मै अपना विशिष्ट सम्मान मानता हूं।
मेरा भाग्य है, मै पूज्य स्वामी जी को कई वर्षो से जानता हुं।
नर्मदा शुद्धीकरण के लिये उन्होने काफी बड़ा कार्य किया है।
आप सभी भाग्य शाली हैं जो उनके कथा का लाभ लेने के लिये उपस्थित हैं।
कहते हैं, जहाँ भागवत कथा होती है, वहाँ भगवान स्वयं विराजित होते है।
आदिपुराण के एक श्लोक में भगवान स्वयं कहते हैं, कि :
“हे नारद ! मैं न तो बैकुंठ में ही रहता हूँ और न योगियों के हृदय में ही रहता हूँ। मैं तो वहीं रहता हूँ, जहाँ प्रेमाकुल होकर मेरे भक्त मेरे नाम का कीर्तन किया करते हैं”।
सबसे शुभ माना जानेवाला पुरूषोत्तम मास या अधिक मास चल रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में किए गए भक्ति और सत्संग का फल दस गुना अधिक मिलता है।
ऐसे अधिक श्रावण मास में परम पूज्य श्री गिरीशानंदजी महाराज के मुखारविंद से परम पावन श्रीमद्भागवत कथा सुनना, इससे अधिक पुण्यकारक और आनंददायक सत्संग और कही भी नहीं हो सकता।
बिनु सत्संग विवेक न होई। रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।
सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और भगवान की कृपा के बिना सच्चे संत नहीं मिलते।
गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं:
जिन्ह हरि कथा सुनी नहिं काना। श्रवन रंध्र अहिभवन समाना।।
तात्पर्य, जिन्होने मनुष्य जन्म में आकर हरी कथा नही सुनी उसके कान मानो सांप के बिल जैसे हैं।
भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए भागवत कथा श्रवण करने की आवश्यकता है।
श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।
कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य, कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है।
मानव जीवन सभी जीवनों में सबसे अनमोल है। सभी संत-महात्माओं ने मनुष्य जीवन की महीमा का वर्णन किया है। ऐसा कहा जाता है कि पुण्य और पाप के बीच संतुलन होने पर मानव जीवन मिलता है।
मानव जीवन का उद्देश्य यह जानना है कि “मैं कौन हूं?’, ‘मेरे अस्तित्व का उद्देश्य क्या है’। इन प्रश्नों के उत्तर आपको मैं और मैं के बंधन से मुक्त कर देंगे। इन प्रश्नों के उत्तर आपको ‘पुनरपि जननं पुनरपि मरणंट के चक्र से मुक्त कर देंगे।
आदि शंकराचार्य ने न केवल वेदांत सार सुनाया, अपितु उन्होने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा बढाई। उन्होंने भारत के चार कोनों में चार धर्म पीठों की स्थापना करके भारत को एकजुट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यदि हम सभी श्रीमद्भागवत की शिक्षाओं का पालन करें और उद्देश्यपूर्ण जीवन जिएं तो भारत विश्व गुरु बन सकता है।
आज भारत का युवा वर्ग कठिन दौर से गुजर रहा है। वे बचपन से ही हर तरह के तनाव और अवसाद से पीड़ित हैं।
कुछ बच्चे हर तरह के व्यसन अपना रहे हैं। हमें अपने युवाओं और बच्चों को तनाव और अवसाद से बचाने की जरूरत है।
महाभारत युद्ध की शुरुआत में अर्जुन उदास थे, विषाद से पीडित थे। भगवान कृष्ण ने उन्हें भगवत गीता सुनाकर उनका उत्साह बढ़ाया।
भगवत गीता और भागवत महापुराण में हमारे युवाओं को बदलने और भारत को एक बार फिर जगत गुरु बनाने की शक्ति है। आप भाग्यशाली हैं जो विगत छह दिनसे हरिकथा सुन रहे हैं।
मैं स्वामी गिरीशानंद सरस्वती जी को प्रणाम करता हूं और कथा यज्ञ की सफलता के लिए प्रार्थना करता हूं।
ओम नमो भागवते वासुदेवाय।
बोलो श्रीकृष्ण भगवान की जय।।