26.08.2023 : तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित १६ वां राष्ट्रीय अधिवेशन
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित १६ वां राष्ट्रीय अधिवेशन
जैन तेरापंथ के, अधिशास्ता, आचार्य तुलसी तथा आचार्य महाप्रज्ञ को श्रद्धापूर्वक भावसुमन अर्पण करके, विद्यमान युगप्रधान महातपस्वी, आचार्यश्री महाश्रमण जी, एवं साधू साध्वीयों का वंदन करता हूं।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित, इस १६ वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित
आचार्य महाश्रमण जी,
साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुत विभा जी
मुनीवर महावीर कुमार जी
साध्वी वरिया संबुद्ध यशा जी
श्री पंकज ओस्तवाल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष
श्री चंद्रेश बाफना, मुख्य ट्रस्टी
श्री गजराज पगारिया जी
श्री सुशील अग्रवाल जी
तेरापंथ समाज के सभी प्रोफेशनल्स, बिजनेस लीडर्स, चार्टर्ड एकाउंटन्टस, कंपनी सेक्रेटरी, व्यापारी, उद्यमी,
भाईयों और बहनों,
आप सभी को जय जीनेन्द्र।
सबसे पहले मैं आचार्य महाश्रमण जी का, महाराष्ट्र राज्य में, प्रदेश के जनता की ओर से, हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता हूं।
अपने चातुर्मास के लिए, महाराष्ट्र को चुनने के लिए मैं, आचार्य श्री महाश्रमण जी को, विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।
चातुर्मास, श्रवण, मनन और निदिध्यास के माध्यम से स्वयं को जानने का, आत्म साक्षात्कार करने का एक अनुपम अवसर है।
हम सभी वास्तव में भाग्यशाली हैं कि, आचार्य महाश्रमण जी आज हमारे बीच विराजमान हैं।
आचार्य महाश्रमणजी, एक धार्मिक संगठन के आचार्य होने के बावजूद, उनके विचार, उदार और धर्मनिरपेक्ष है। आपने 3 देशों और 23 राज्यों की पैदल यात्रा कर जनमानस को जागृत किया है।
‘अहिंसा यात्रा’ के जरिये आप नशामुक्ति, नैतिकता व सद्भावना की प्रेरणा देते हैं, जो एक अद्वितीय राष्ट्रीय कार्य हैं। मैं आपके परिश्रम को, आपकी तपस्या को नमन करता हूँ।
आम तौर पर, देखा जाता है कि, जब अच्छी शिक्षा, अच्छा व्यवसाय और सफलता मिल जाती है, तो लोग धर्म कार्य से दूर हो जाते हैं। उन्हे लगता है, मैने जो भी कुछ जीवन में हासील किया, पाया है, वह अपने ही बलबुते पर पाया है।
इस पृष्ठभूमि में, यहांपर इतनी बडी संख्या में युवा प्रोफेशनल्स को देखकर मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हुई। आचार्य महाश्रमण जी की पावन उपस्थिति में इस संगोष्ठी का आयोजन करने के लिए मै, ‘तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम’ की सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
भारत एक महान सभ्यता है जिसके पास समृद्ध संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म है। महाराष्ट्र तो महान संतोंकी भूमि है।
आत्मज्ञान की महान परंपरा में, हमारे देश में, भगवान महावीर जी का एक प्रमुख स्थान है।
उनका लक्ष्य अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह के आध्यात्मिक उपदेशों के माध्यम से लोगों का आध्यात्मिक उत्थान करना था।
भगवान महावीर की आध्यात्मिक शिक्षा के अनुसरण में, आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के ध्वज तले, महिला उत्पीड़न, दहेज प्रथा, विधवाओं को यातना, अस्पृश्यता और महिला-पर्दा जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की।
उन्होंने नशा-मुक्ति के लिए एक सामाजिक अभियान आरंभ किया। आचार्य जी की प्रेरणा से, हजारों लोगों ने इसमें पंजीकरण करवाया और सफलतापूर्वक नशे से मुक्ति पाई।
हमने एक कविता पढी है।
छोटी छोटी जल की बूँदें, सागर को भर देती हैं
बालू की रज् नन्ही-नन्ही, सुधर भूमि रच देती हैं
हम सभी को छोटे छोटे संकल्प के माध्यम से, आत्मविकास, समाज विकास और राष्ट्र विकास में योगदान देने की आवश्यकता है।
हमारे, सभी धर्मग्रंथ और पुराण, हमें बताते हैं कि, मानव जीवन हमारे लिए ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार है।
केवल मनुष्य होने के नाते ही आप दूसरों की, गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की, अबोल जीवों की, और हाशिये पर पड़े लोगों की, मदद कर सकते हैं।
हम अक्सर देखते है…. जब कभी कोई पक्षी किसी पेड़ पर मांजे में फंस जाता है, तो ढेर सारे पक्षी, उसके इर्द गिर्द में इकठ्ठा होकर, जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं।
उनमें से किसी में भी, उलझे हुए पक्षी को मांजे से छुड़ाने की क्षमता नहीं होती।
लेकिन एक साधारण मनुष्य, अपनी सूझबूझ व क्षमता से पेड़ पर फॅंसे पक्षी को तुरंत छुडा देता है। दूसरों को मदद करने की क्षमता, ईश्वर ने केवल मनुष्यो को दी है।
एक सफल प्रोफेशनल होने के नाते, आप में से प्रत्येक के पास, हमारे ग्रामीण गरीबों, आदिवासियों, जेलों में बंद कैदियों, दिव्यांगो, अनाथों और परित्यक्त लोगों की मदद करने की शक्ति और क्षमता है। जरुरत है आपके भीतर मौजूद करूणा जगाने की।
आज के संगोश्ठी का विषय ‘लाईटेन टू एन्लाईटेन’ याने ‘लघुता से प्रभुता’, बहुत ही सुंदर और प्रासंगिक है।
बहनों और भाईयों,
‘तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम’, अपने आप में अच्छा संगठन है, जो शिक्षा, चिकित्सा व आध्यात्मिक क्षेत्र में कार्यरत है। जानकार ख़ुशी हुई कि, आचार्य महाप्रज्ञ जी की अनुशांसा से शुरू किया गया ‘आचार्य महाप्रज्ञ नोलेज सेंटर’ द्वारा, IAS कोचिंग और बोर्डिंग के लिये सुविधा दी जा रही है। मैं फोरम की सराहना करते हुए उससे अपील करूंगा कि वह सभी समुदायों के छात्रों के लाभ के लिए कई अन्य शहरों और कस्बों में भी ऐसे केंद्र खोलने के बारे में सोचें। यह ‘लघुता’ से ‘प्रभुता’ की ओर एक बड़ा कदम होगा।
भारत वर्ष 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा। मैं सभी प्रोफेशनल्स से अपील करूंगा कि वे विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए, राष्ट्र के लिए, अपना अधिकतम योगदान दें। मैं फोरम से इस अवधि के लिए सामाजिक कार्यों के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने की भी अपील करूंगा।
मै आचार्य श्री को बताना चाहुंगा कि, करोना महामारी के काल मे, जैन समाज ने अपनी दानवीरता से देश के लाखों-करोडों लोगों के भोजन-पानी की व्यवस्था की, मास्क, सेनिटाईजर बाटे, दवाइयॉं उपलब्ध करायी तथा अबोल जीवों को जीवन दान दिया। इस कार्य में सभी प्रोफेशनल्स बढचढ कर आगे थे।
आज मै सब का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ तथा उनके कार्य की भरपूर प्रशंसा करता हूँ।
एक बार फिर मैं, मुझे आमंत्रित करने के लिए, फोरम को धन्यवाद देता हूं और सभी प्रतिनिधियों को सार्थक विचार-विमर्श की शुभकामनाएं देता हूं।
मैं आचार्य महाश्रमण जी को प्रणाम करता हूँ, और उनके सुखद चातुर्मास की मंगल कामना करता हूं।
धन्यवाद।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र। जय जिनेन्द्र।