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    26.03.2023 : महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण – मुंबई उपनगर जिला और ‘हेतू चेरिटेबल ट्रस्ट’ के तत्वावधान में दिव्यांग व्यक्तियों को सिलाई मशीन और आटा चक्की (घर घंटी) वितरण कार्यक्रम, स्थान : दरबार हॉल, राजभवन, मुंबई

    Publish Date: March 26, 2023

    महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण – मुंबई उपनगर जिला और ‘हेतू चेरिटेबल ट्रस्ट’ के तत्वावधान में दिव्यांग व्यक्तियों को सिलाई मशीन और आटा चक्की (घर घंटी) वितरण कार्यक्रम, स्थान : दरबार हॉल, राजभवन, मुंबई

    सम्मानित श्री मंगल प्रभात लोढा, मंत्री, कौशल विकास, पर्यटन तथा महिला और बालकल्याण

    श्री दीपक केसरकर, मंत्री, विद्यालय शिक्षा तथा मराठी भाषा

    न्यायमूर्ती श्री ए ए सय्यद, (रिटायर्ड) पूर्व मुख्य न्यायमूर्ती, हिमाचल प्रदेश

    न्यायमूर्ती श्री कमल किशोर तातेड ( रिटायर्ड ), अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग

    श्री. एम ए सयीद, सदस्य, राज्य मानवाधिकार आयोग

    श्री रमेश जी सावंत, ‘सक्षम’ कोकण प्रांत

    श्री रिखबचंद जैन, सचिव, हेतु चॅरिटेबल ट्रस्ट

    सभी आमंत्रित और मेरे प्यारे दिव्यांग बच्चों,

    आज के मंगल दिवस पर आप सबका राजभवन में स्वागत करते मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है ।

    सर्वप्रथम, राज्य मानवाधिकार आयोग, डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी, सक्षम कोंकण प्रांत और हेतु चॅरिटेबल ट्रस्ट द्वारा स्वतंत्रता के ७५ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में ७५ दिव्यांग लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का यह कार्यक्रम राजभवन में आयोजित करने के लिए मै सभी आयोजक संस्थाओं का हृदय से अभिनंदन करता हूं ।

    आज जिन दिव्यांग बच्चों ने सुंदर गायन प्रस्तुति दी है, उन सबको हार्दिक बधाई देता हूँ ।

    मैं खासकर उनके माता पिता का अभिनंदन करता हूँ । जिन्होंने इन बच्चो इतना सुंदर पढ़ाया, लिखाया और योग्य बनाया ।

    आज जिन ५५ दिव्यांग भाई बहनों को सिलाई मशीन दी जा रही है तथा जिन २० नेत्रहीन भाई – बहेनों को आटा चक्की दी जा रही है, उन सबका हार्दिक अभिनंदन करता हूँ और उन्हें शुभकामनाएं देता हूँ ।

    आज दिया गया उपहार उन्हे तथा उनके परिवार को आत्मनिर्भर बनाएगा, तथा उनका जीवन स्तर उन्नत होगा ऐसा मुझे विश्वास है ।

    संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार पूरे विश्व में सौ करोड़ से अधिक दिव्यांगजन है।

    यानि विश्व में लगभग हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में दिव्यांगजन है।

    भारत की भी दो प्रतिशत से अधिक आबादी दिव्यांगजन है।

    यह सुनिश्चित करना हम सबका, पूरे समाज का दायित्व बनता है कि सभी दिव्यांग जन स्वतंत्र रूप से एक गरिमापूर्ण और क्रियाशील जीवन व्यतीत कर सकें।

    सभी दिव्यांगजनों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, वे अपने घर और समाज में सुरक्षित रहें, उन्हें अपना करियर चुनने की स्वतंत्रता हो, रोजगार के समान अवसर हो, यह सुनिश्चित करना भी हमारा दायित्व है।

    भारतीय संस्कृति और परम्परा में डिसेबिलिटी को ज्ञान-अर्जन और उत्कृष्टता प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं माना गया है।

    ऋषि अष्टावक्र महान ज्ञानी थे । उन्हें अष्टावक्र इसलिए कहा जाता था क्योंकि उनका शरीर आठ जगह से टेड़ा था।

    ऋषि अष्टावक्र ने अनेक चुनौतियों के बावजूद, अपने ज्ञान और दर्शन से समाज को प्रकाशित किया।

    महान संत कवि सूरदास जी ने नेत्रहीन होते हुए भी राधा-कृष्ण के रंग-रुप, श्रृंगार और सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है।

    बल्ब की खोज करने वाले थॉमस अल्वा एडिसन उम्र के १२ वें वर्ष से कर्णबधीर हो गये थे ।

    विश्व के जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग लगभग पुरे पेरलाइज थे ।

    दिव्यांग होने के बावजूद स्टीफन हॉकिंगने अपने असाधारण ज्ञान से विज्ञान जगत को नई दिशा प्रदान की है।

    प्राय:, यह देखा गया है की दिव्यांगजन दिव्य-गुणों से युक्त होते हैं।

    ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिसमें हमारे दिव्यांग भाइयों-बहनों ने अपने अदम्य साहस, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।

    पर्याप्त अवसर और सही वातावरण मिलने पर, दिव्यांगजन भी हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।

    हमें ओलंपिक में जीतने मेडल्स मिलते उससे अधिक मेडल्स पॅरालिम्पिक में मिलते है । मेरे विचार में इन लोगों की ऊर्जा और सामर्थ्य किसी से भी कम नहीं है।

    सवाल अवसर का है, सवाल एक लेवल – प्लेइंग फील्ड बनाने का है ।

    आज भी हमारे सभी सार्वजनिक कार्यालय, ऑफिसेस, यातायात के साधन, डिजिटल मीडिया, वेबसाइट्स दिव्यांगों के लिए पुरी तरह से अनुकूल नहीं है ।

    दिव्यांगों को रोजगार मिले इससे वे आत्मनिर्भर बने एवं उनकी आने वाली पीढ़ी का भविष्य उज्जवल हो ऐसी सोच रखने वाली हेतु ट्रस्ट के पदाधिकारी यह कार्य नियमित रूप से कर रहे है । यह बड़ी बात है।

    दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाना, स्वावलंबी बनाना ये आज के राष्ट्र की जरूरत भी है |

    हर काम सरकार नहीं कर सकती । सरकार बहुत सारे काम कर रही है । बहुत सारी योजनाएं बना चुकी है । हम सब मिलकर ये योजनाएं अपने दिव्यांग परिवारों तक पहुंचाने का प्रयास करे ।

    मैने देखा है कि हेतु ट्रस्ट पिछले १५- २० वर्ष से इतनी अच्छी मानव सेवा कर रहा है । और बच्चों को पढा लिखाकर सक्षम बना रहा है । मै हेतु के सभी कार्य की सराहना करता हॅूं । फिर से एक बार श्री रिखब जैन को दिल से धन्यवाद देता हॅूं । एवं मानवाधिकार आयोग की पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहता हॅूं क‍ि वो हेतु जैसी संस्था के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़े है।

    धन्यवाद
    जय हिंद | जय महाराष्ट्र ||