24.06.2023 : संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय का 39 वाँ दीक्षांत समारोह
संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय का 39 वाँ दीक्षांत समारोह
श्री. देवेंद्र फडणवीस जी, उपमुख्यमंत्री
श्री. चंद्रकांत दादा पाटिल जी, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री
डॉ. प्रमोद येवले जी, प्रभारी कुलपति, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय
कार्यकारी परिषद और विद्या परिषद के सदस्य,
आमंत्रित अतिथि गण,
स्नातक छात्र छात्राएं, और उनके माता-पिता,
शिक्षक और कर्मचारी गण,
देवियों और सज्जनों,
प्रबंधन, सिनेट और अकादमिक परिषद के सदस्य
आमंत्रित, संकाय सदस्य, स्नातक छात्र और उनके परिवार के सदस्य, मीडियाकर्मी, देवियों और सज्जनों
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के ३९ वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए मै अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।
सबसे पहले, आज के दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले हर एक छात्र, शोधकर्ता और आचार्य को मै हार्दिक बधाई देता हूँ, और उनका अभिनंदन करता हूं।
जिनका नाम इस विश्वविद्यालय से जुडा है ऐसे महान संत, गाडगे बाबा भारत के अग्रणी समाज सुधारकों में से एक थे, जिन्होंने गाँव की स्वच्छता और सफाई की वकालत की।
संत गाडगे बाबा हमेशा अपने हाथ में झाड़ू रखते थे। वह जहां भी जाते, अपनी झाड़ू से उस जगह को साफ करने लगते।
स्वच्छ भारत अभियान के वे सचमुच जनक थे।
संत गाडगे बाबा अमरावती जिले से ताल्लुक रखते थे, इसलिए उनके नाम पर बने विश्वविद्यालय की यह जिम्मेदारी है कि वह पूरे राज्य में सबसे स्वच्छ कॉलेजों के साथ सबसे स्वच्छ विश्वविद्यालय का उदाहरण पेश करे।
भगवान ईसा मसीह ने दस आज्ञाएं दी थीं। उन्हें ‘टेन कमांडमेंट’ के नाम से जाना जाता है।
इसी तरह संत गाडगे बाबा ने समाज के अंत्योदय के लिए दशसूत्री दी थी।
1. भूखे को खाना
2. प्यासे को पानी
3. नंगे को वस्त्र
4. गरीबों को शिक्षा के लिये सहायता
5. बेघरों को निवारा / आसरा
6. अंध, अपाहिज, रोगियों को दवा
7. बेकारों को रोजगार
8. पशु, पक्षी, बेजुबान जानवरों को अभय
9. गरीब युवा -युवती यों की शादी
10. दुखी तथा अवसादग्रस्त लोगों को धैर्य
यह दशसुत्री हम सब के लिये मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है।
मित्रों,
कुलपति की रिपोर्ट से विश्वविद्यालय की विभिन्न योजनाओं की जानकारी मिली।
अमरावती का यह विश्वविद्यालय मानव पूंजी के संवर्धन के माध्यम से समाज के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण से निर्माण हुआ था।
१ मई १९८३ में स्थापित संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, आज ४०३ संबद्ध कॉलेजों के साथ उच्च शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बन चुका है।
मुझे ज्ञात किया गया है कि विश्वविद्यालय के ३४ कॉलेज का NAAC ग्रेडिंग “ए” हैं; दो कॉलेज का ए++ है; तीन कॉलेज का ए+ है , और चार कॉलेजेस स्वायत्त हैं।
मैं विश्वविद्यालय से यह सुनिश्चित करने की अपील करूंगा कि सभी कॉलेजों का जल्द से जल्द एक्रेडिटेशन किया जाए।
उल्लेखनीय है कि संत गाडगे बाबा विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में पांच प्रमुख जिले अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम और यवतमाल आते हैं।
इनमें से कुछ जिलों के किसानों के आर्थिक उत्थान के लिये विश्वविद्यालय को काम करने की जरुरत है।
मैं विश्वविद्यालय से आह्वान करुंगा कि वह कम से कम दस गांवों को गोद ले और उनमें परिवर्तन लाने का प्रयास करे।
गांव परिवर्तन परियोजनाओं में छात्रों को भी शामिल करें। उन्हें इस काम के लिए कुछ क्रेडिट्स भी दें। इससे लोगों की वास्तविक समस्याओं के बारे में उनकी समझ का विस्तार होगा।
मित्रों,
संस्कृत में एक सुभाषित है।
विद्याधनं सर्वधन प्रधानम्॥
यानी, ज्ञान धन है, और यह धन के सभी रूपों में सबसे श्रेष्ठ है।
ज्ञान चोरों द्वारा चुराया नहीं जा सकता है, राजाओं द्वारा जब्त नहीं किया जा सकता है, इसे भाइयों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, और यह धारणकर्ता के कंधों पर बोझ भी नहीं बनता। ज्ञान जितना खर्च किया जाता है, यह उतना ही फलता-फूलता है। इसलिए ज्ञान का धन सभी प्रकार के धन में सबसे महत्वपूर्ण है।
ज्ञान वह नींव है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है।
शिक्षा परिवर्तन का उत्प्रेरक है और युवा सामाजिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली दूत है।
शिक्षित युवाओं को सही दिशा दी जाए तो वे इतिहास की धारा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भी यही है। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय इस शैक्षणिक सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर रहा है।
नई नीति वर्तमान की उभरती जरूरतों के लिए प्रासंगिक अनुसंधान, कौशल और कौशल के आधार पर एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना चाहती है।
साथ ही, भविष्य के दृष्टिकोण के अनुरूप यह अपने कार्यक्षेत्र में हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी शामिल करेगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नैतिक मूल्यों को विकसित करने और भारतीय संस्कृति की समझ को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
मुझे विश्वास है कि इस नीति के कार्यान्वयन से आधुनिक शिक्षा और शिक्षा के युग का सूत्रपात होगा।
यह शोधकर्ताओं और प्रोफेशनल्स की एक पीढ़ी तैयार करेगा जो हमारे देश को हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के अनुरूप विकास की महान ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 शिक्षा को आगे बढ़ाते हुए, कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर देती है। यह छात्रों को उद्यमिता के लिए तैयार करना चाहता है और इसका उद्देश्य उन्हें ‘नौकरी तलाशने वाले’ बनने के बजाय ‘नौकरी देने वाला’ बनाना है।
आज दुनिया कुशल मानव संसाधन की मांग को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रही है।
दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के रूप में भारत का समय आ गया है।
हमने संयुक्त राज्य अमेरिका में माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का जिस गर्मजोशी से स्वागत हुआ है, उसे हमने देखा है।
विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक स्नातक कम से कम एक कौशल से लैस है जो उसे आजीविका कमाने में मदद करेगा।
दोस्तो,
कुलाधिपति होने के नाते मै हर विश्वविद्यालय में देखता हूं कि जिन छात्रों को स्वर्ण पदक और प्रथम श्रेणी की डिग्रियां दी जा रही हैं, उनमें बड़ी संख्या महिला छात्राओं की है।
यह दर्शाता है कि हमारी बेटियां हमारे समाज में किस तरह आगे बढ़ रही हैं। इस वर्ष इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में पहले दस में से ६ टोपर्स महिलाए थी।
मैं इन बेटियों में से हर एक को इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं, जो अकादमिक और व्यक्तिगत दोनों तरह से आगे बढ़ने के रास्ते पर एक कदम है।
मेरे युवा साथी आज एक नए सफर की शुरुआत करने की दहलीज पर हैं। आप में से कुछ लोग उच्च अध्ययन कर रहे होंगे जबकि अन्य प्रोफेशनल जिम्मेदारियों को उठा सकते हैं।
लेकिन हमेशा याद रखें कि यह आपके कर्म ही हैं जो आपके व्यक्तित्व को दर्शाएंगे।
हमेशा अपने परिवार, समाज और देश की सेवा करने का प्रयास करो। समाज उन्ही लोगोंको याद करता है जो देशसेवा करते है, समाज सेवा करते है, या पर्यावरण की निस्वार्थ भाव से सेवा करते है।
मुझे यकीन है कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास समाज और देश को देने से कभी पीछे नहीं हटेंगे।
मैं छात्रों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मैं उनके परिवारों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने उनमें से प्रत्येक को अपनी जीवन यात्रा में इतनी दूर लाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
मैं इस अवसर पर शिक्षक, मार्गदर्शक, रिसर्च गाईड और प्रशासन की भी सराहना करता हूं।
धन्यवाद
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।