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    20.10.2023 : जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को प्रतिष्ठापना करने हेतु विदाई कार्यक्रम

    Publish Date: October 20, 2023

    जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को प्रतिष्ठापना करने हेतु विदाई कार्यक्रम। आयोजक: ‘आम्ही पुणेकर फाउंडेशन’ और ‘छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक समिति’। शुक्रवार 20 अक्टूबर 2023

    श्री एकनाथ शिंदे, माननीय मुख्यमंत्री

    श्री सुधीर मुनगंटीवार, माननीय सांस्कृतिक कार्य मंत्री

    श्री विकास खारगे, प्रधान सचिव, संस्कृति विभाग

    श्री अभयराजे शिरोले, ट्रस्टी, ‘आम्ही पुणेकर फाउंडेशन’

    श्री हेमन्त जाधव, अध्यक्ष, ‘आम्ही पुणेकर फाउंडेशन’

    आमंत्रितगण, शिव प्रेमी

    बहनों और भाइयों,

    सबसे पहले मैं सभी शिव प्रेमियों का राजभवन में हार्दिक स्वागत करता हूं।

    देश के आराध्य दैवत, हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में भेजने के पहले, राजभवन में विदाई समारोह आयोजित करने के लिए, मै माननीय संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार जी, और ‘आम्ही पुणेकर फाउंडेशन’ के ट्रस्टियों को हृदय पूर्वक धन्यवाद देता हूं।

    RR 41 मिलिट्री बेस की मदद से जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत कुपवाड़ा क्षेत्र में, छत्रपती शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की इस सराहनीय पहल के लिए मैं, ‘आम्ही पुणेकर फाउंडेशन’ और ‘छत्रपति छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक समिति’ को बधाई देता हूं।

    मुझे विश्वास है कि यह प्रतिमा हमारे जवानों, अधिकारियों और नागरिकों को निरंतर प्रेरणा प्रदान करेगी। जम्मू कश्मीर की यात्रा पर जाने वाले देश के लोगों के लिये भी वह स्थान प्रेरणा स्थल बनकर उभरेगा ऐसा मुझे विश्वास है।

    जैसा कि आप जानते होंगे कि, राजभवन’ – जहां हम सभी बैठे हैं, – ब्रिटिश शासन के दौरान बॉम्बे प्रेसीडेंसी का ‘गवर्नमेंट हाउस’ था।

    वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले मुंबई राज्य के 16 से अधिक ब्रिटिश गवर्नर यहां रह चुके हैं। यह स्थान पश्चिमी भारत में ब्रिटिशों की ताकत का प्रतीक था।

    छत्रपति शिवाजी महाराज का द्रष्टापन देखिये। 350 साल पहले ही उन्होने ब्रिटिश व्यापारियों और ईस्ट इंडिया कंपनी के खतरे को पहचान लिया था। इतिहास बताता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने न केवल सूरत पर आक्रमण किया, बल्कि अपनी स्वयं की नौसेना बनाने का कार्य भी आरंभ किया।

    आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत के माननीय प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में, हमारे डिफेन्स फोर्सेज ने अपने प्रमुख राष्ट्रीय समारोह, राजधानी के बाहर आयोजित करने की परंपरा शुरू की है।

    इसके अनुसार, इस वर्ष ४ दिसंबर को, भारतीय नौसेना दिवस समारोह, छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित सिंधुदुर्ग किले में आयोजित किया जाएगा। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी संभवता इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

    अपने राज्य के लिए शिवाजी महाराज का दृष्टिकोण अपने समय से आगे का था। उन्होंने मुगल साम्राज्य के दमनकारी शासन से मुक्त होकर समृद्ध महाराष्ट्र का सपना देखा था। वह मुक्त व्यापार और उद्योग के प्रबल पक्षधर थे।

    एक मजबूत और आत्मनिर्भर राज्य का निर्माण करके अपने लोगोंका कल्याण सुनिश्चित करना यही उनकी महत्वाकांक्षा थी।

    छत्रपती शिवाजी महाराज के शासन की एक पहचान, उनका न्यायपूर्ण और ईमानदार प्रशासन पर जोर देना था।

    उन्होंने शासन की एक ऐसी प्रणाली स्थापित की जिसने अपनी प्रजा के कल्याण को प्राथमिकता दी, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति या धर्म कुछ भी हो।

    शिवाजी महाराज समाज में महिलाओं के महत्व को पहचानने में अग्रणी थे। उन्होंने महिलाओं का सम्मान किया और सुरक्षा प्रदान की, उनकी गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित की।

    मंत्री महोदय के सामने मै दो बिंदु रखना चाहूंगा।

    भारत के माननीय प्रधान मंत्री ने 2036 में भारत में ओलंपिक की मेजबानी करने की राष्ट्र की इच्छा व्यक्त की है।

    मुझे लगता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की इस भूमि को अपने बच्चों और युवाओं को विभिन्न खेलों में अभी से तैयार करना चाहिए। हम संकल्प करें कि महाराष्ट्र से हम देश के लिये अधिकतम पदक जीतकर लाएंगे।

    कुछ महीने पहले, मैंने गुजरात के केवडिया में सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक का दौरा किया। देश भर से लाखों लोग स्मारक देखने आते हैं।

    दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में बहुत कम लोगों ने शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित सिंधुदुर्ग, विजय दुर्ग या पद्म दुर्ग किलों को देखा है।

    30 प्रतिशत लोगों ने भी शिवनेरी और रायगढ़ या सिंहगढ़ या प्रतापगढ़ नहीं देखा है।

    हमें शिवाजी महाराज के किलों की ओर अधिकतम लोगों को आकर्षित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना होगा। यह न केवल हमारे युवाओं को शिवाजी महाराज के आदर्शों से प्रेरित करेगा, बल्कि हमारे लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। इसमें अपार संभावनाएं हैं।

    मैं आम्ही पुणेकर फाउंडेशन को इस अद्भुत पहल के लिए बधाई देता हूं और उसके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।
    जय भवानी। जय शिवाजी।।