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    19.04.2023 : ‘नवभारत सीएसआर समिट और अवॉर्ड्स २०२३’ द्वितीय संस्करण पुरस्कार वितरण समारोह तथा ‘नवभारत’ के ९० वर्ष पुरे होने पर ‘लोगो’ का अनावरण, स्थल : राजभवन, मुंबई

    Publish Date: April 19, 2023

    ‘नवभारत सीएसआर समिट और अवॉर्ड्स २०२३’ द्वितीय संस्करण पुरस्कार वितरण समारोह तथा ‘नवभारत’ के ९० वर्ष पुरे होने पर ‘लोगो’ का अनावरण

    श्री देवेंद्र फडणवीस, सम्मानित उपमुख्यमंत्री

    श्री राहुल नार्वेकर, अध्यक्ष, महाराष्ट्र विधानसभा

    श्री निमिष माहेश्वरी, प्रबंध निदेशक, नवभारत समूह

    श्री अशोक हिंदुजा, अध्यक्ष, हिंदुजा ग्रुप

    श्री युवराज ढमाले, अध्यक्ष, युवराज ढमाले ग्रुप

    नवभारत सीएसआर अवॉर्डस विजेता

    अभिभावक

    भाइयों और बहनों,

    राजभवन में आप सभी का हार्दिक स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

    बचपन से ही ‘नवभारत’ समाचार पत्र मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया था। युं कहे कि मैं नवभारत पढ़ते हुए बड़ा हुआ हूं। ‘नवभारत’ पढ़ना अब आदत बन चुकी है। और इसलिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के बाद जब मुझे ‘नवभारत’ की कॉपी मुंबई में हाथ में मिली तो मुझे बहुत खुशी हुई।

    राजभवन में अपने पहले दिन से मैं ‘नवभारत’ का मुंबई संस्करण पढ़ रहा हूं।

    नवभारत ने पत्रकारिता के उच्च आदर्शों को लगातार कायम रखा है। इस अखबार ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और हमें इस पर गर्व है।

    नवभारत समाचार पत्र 1934 में श्री रामगोपाल माहेश्वरी द्वारा शुरू किया गया। श्री विनोद माहेश्वरी उसे उचाईयों पर ले गये। आज प्रबंध निदेशक श्री निमिष माहेश्वरी द्वारा नवभारत समूह का २१ वी सदी में नेतृत्व किया जा रहा है।

    मुझे खुशी है कि ‘नवभारत’ अब महाराष्ट्र, एमपी, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से प्रकाशित हो रहा है। साथ ही मराठी समाचार पत्र ‘नवराष्ट्र’ भी प्रकाशित हो रहा है।

    नव भारत को एक निष्पक्ष समाचार पत्र के रूप में देखा जाता है। इसे सही मायने में नए भारत की आवाज माना जाता है।

    इसलिए मुझे ‘नवभारत’ समूह के ९० वर्ष पुरे होने पर बनाए गये लोगो का लॉन्च करते समय खुशी हो रही है।

    भाईयों और बहेनों,

    मैं समझता हूं कि सीएसआर के माध्यम से असाधारण कार्य करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के व्यावसायिक संगठनों को नव भारत सीएसआर पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।

    मैं इस अवसर पर ‘नवभारत सीएसआर पुरस्कार’ के प्रत्येक विजेता को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

    मुझे बताया गया है, कि कोई 6 साल पहले, ‘नवभारत ग्रुप’ ने परोपकार की भावना को मनाने के लिए एक कॉफी टेबल बुक ‘द ग्रेट फिलैंथ्रोपिस्ट्स – देश के महान दानवीर’ प्रकाशित की थी।

    आज भी एक नये कॉफी टेबल पुस्तक का विमोचन हो रहा है।

    मैं इस अवसर पर नवभारत समूह के प्रबंध संपादक श्री निमिष माहेश्वरी, संपादक श्री बृजमोहन पांडेय और ‘नव भारत’ समूह से जुड़े सभी पत्रकार व व्यवस्थापन सदस्यों को बधाई देता हूं।

    मित्रों,

    एक पारंपरिक कहावत है,
    “वृक्ष कबहुँ न फल भखै,
    नदी न संचय नीर।
    परमार्थ के कारने,
    साधुन धरा शरीर।”

    मुझे लगता है कि अगर किसी के व्यक्तित्व को देने का कोई पहलू नहीं है तो उसका मानव जीवन अधूरा है। समाज को वापस देना एक संस्कार है और मुझे लगता है कि इस संस्कार को हर बच्चे, हर छात्र और हर युवा में आत्मसात करना चाहिए।

    हमारे प्राचीन पुराणों में परोपकार के कई उदाहरणों का उल्लेख है। महर्षि दधीचि की दानवीरता की प्रशंसा की है। भारतीय संस्कृति ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र के नि:स्वार्थ उपकार की अंतहीन प्रशंसा की है।

    ‘कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी’ शब्द और सीएसआर पर कानून अपेक्षाकृत नया हो सकता है। लेकिन सामाजिक उत्तरदायित्व का मूल विचार भारतीयों के लिए नया नहीं है।

    सीएसआर नीति नहीं होने पर भी व्यापारिक संगठन अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते रहे हैं। जहां तक टाटा, बिरला, बजाज और कई अन्य व्यावसायिक परिवारों की बात है, इन समूहों ने अपने व्यवसायों के साथ परोपकार की शुरुआत की थी। यह उनके अस्तित्व और जीविका का अभिन्न अंग था।

    भारत के हर कस्बे और शहर में महान व्यक्तियों द्वारा किए गए परोपकारी कार्यों के पदचिन्ह हैं, जैसे शैक्षणिक संस्थान, धर्मशाला, पुस्तकालय, अस्पताल और यहां तक कि कब्रिस्तान भी। ये संस्थान और सार्वजनिक स्थान आज तक समाज की महान सेवा कर रहे हैं।

    आप में से भी कई लोग पहले से ही विभिन्न अर्थपूर्ण सीएसआर गतिविधियों में लगे हुए हैं, जिनका उद्देश्य समाज और वंचित लोगों की स्थिति में सुधार करना है।

    मैं यह भी जानता हूं कि कई संगठन सीएसआर पर अनिवार्य 2 प्रतिशत खर्च से कहीं अधिक खर्च कर रहे हैं। ऐसी कंपनियां भी हैं, जो अच्छा मुनाफा न होने के बावजूद अपनी मेहनत की कमाई को सामाजिक कार्यों में लगा रही हैं। यह केवल समाज की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

    महाराष्ट्र और विशेष रूप से मुंबई का आधुनिक इतिहास उदार व्यापारिक नेताओं और उनके परिवारों द्वारा परोपकार के कार्यों के कई उदाहरणों से भरा हुआ है।

    मैं यह जानकर प्रभावित हुआ कि माहिम कॉजवे का निर्माण, गेट वे ऑफ इंडिया का निर्माण, जेजे अस्पताल, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, और अन्य संस्थाओं का निर्माण दानवीर लोगों द्वारा किया गया हैं।

    यह शहर आधुनिक मुंबई के निर्माता नाना जगन्नाथ शंकरशेट के परोपकार के लिए भी काफी हद तक ऋणी है।

    कुछ सरकारी कार्यक्रमों और सीएसआर पहलों के प्रभावी सामाजिक परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के बीच तालमेल विकसित करने की आवश्यकता है।

    अब समय आ गया है कि हम सीएसआर से आगे बढ़कर आईएसआर यानी व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर बढ़ें।

    सीएसआर और आईएसआर गतिविधियों के माध्यम से युवा शक्ति को चैनलाइज करने से हमें अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने और बेहतर भविष्य बनाने में मदद मिलेगी।

    सीएसआर कार्यक्रम चलाने के लिए हमें विशेष पेशेवरों की भी जरूरत है। विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में, मैं महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों से व्यापार संगठनों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा सीएसआर नीतियों के कार्यान्वयन के लिए पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यक्रमों को डिजाइन और विकसित करने का आह्वान करना चाहता हूं।

    मैं कुछ विषयों को चिन्हित करना चाहता हूं जिन पर कॉरपोरेट्स और व्यापारिक संगठनों द्वारा अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है :

    1. सभी शहरों और कस्बों में महिलाओं के लिए अधिक शौचालयों का निर्माण हो। मुंबई जैसे शहरों में, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रेन स्टेशनों पर सभी शौचालय सुरक्षित और पूरी तरह कार्यात्मक हों।

    2. बड़े शहरों में महिला छात्रावास बनाने की आवश्यकता है ताकि कार्यबल में महिलाओं की साझेदारी बढे।

    3. सभी सार्वजनिक स्थलों को विकलांगों के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है, ताकि विकलांग व्यक्ति समाज में और भी अधिक योगदान दे सकेंगे।

    4. प्रत्येक संगठन में एप्रेन्टीसशिप के लिए अधिक अवसर सृजित करना चाहिये ताकि अधिक से अधिक युवाओं को कार्य करने का अनुभव प्राप्त हो सके।

    अंतमे, फिर एक बार मै ‘नवभारत सीएसआर पुरस्कार’ विजेताओं को बधाई देता हूं और आपके भविष्य के प्रयासों में आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।