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    19.03.2024 : ऑनलाइन : वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणी का 25 वां दीक्षांत समारोह

    Publish Date: March 19, 2024

    ऑनलाइन : वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणी का 25 वां दीक्षांत समारोह। 19 मार्च 2024

    डॉ. संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग, भारत सरकार

    डॉ. इंद्र मणि, कुलगुरु, वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणी

    श्री पुरभा काले, कुलसचिव

    उपस्थित वर्तमान एवं भूतपूर्व कुलगुरू

    विद्वत एवं कार्यकारी परिषदों के सदस्य, विशेष अतिथि, संकाय सदस्य, स्टाफ, प्रिय छात्र – छात्राएं,

    देवियों एवं सज्जनों,

    वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि विश्वविद्यालय परभणी के 25 वें दीक्षांत समारोह के साथ जुडकर ख़ुशी हो रही है।

    वास्तव में ऑनलाइन उपस्थित रहने के बजाय प्रत्यक्ष रूप से विश्वविद्यालय का दौरा करने की मंशा थी।

    लेकिन समयाभाव और अन्य व्यस्तताओं के कारण आज आपसे ऑन लाइन के जरिये ही बात कर रहा हूं।

    आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी कृषि स्नातक छात्र- छात्राओं का मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    दीक्षांत समारोह के अवसर पर, मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

    मैं विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, रिसर्चर्स और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।

    आज विशेष रूप से मैं आचार्य पदवी प्राप्त कर रहे स्नातक, स्वर्ण पदक विजेताओं और पदवी प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं।

    मैं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ इंद्र मणी, संकाय सदस्यों, अनुसंधान वैज्ञानिकों और पूर्व छात्रों को भी बधाई देता हूं।

    हमने भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

    इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कृषि क्षेत्र को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

    भारतीय कृषि धीरे-धीरे वैश्विक व्यवसायीकरण की ओर परिवर्तित हो रही है। उच्च मूल्य वाली फसलों पर जोर दिया जा है।

    कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15 प्रतिशत और कुल निर्यात में लगभग 13 प्रतिशत योगदान है। देश की लगभग 50 से 60 प्रतिशत जनसंख्या आज भी कृषि तथा कृषि संबंधी उद्योगो पर निर्भर है।

    आज कृषि में तीन महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे है : (1) समावेशी विकास (2) ग्रामीण आय को बढ़ाना और, (3) खाद्य और पोषण सुरक्षा

    स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने खाद्यान्न (हरित क्रांति), तिलहन (पीली क्रांति), दूध (श्वेत क्रांति), मछली (नीली क्रांति), और फलों और सब्जियों (स्वर्ण क्रांति) के उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। आज कृषि क्षेत्र इंद्रधनुषी क्रांति की ओर अग्रसर है।

    कृषि विस्तार के द्वारा किसानों को बाजार की स्थितियों का ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे वे कौनसी फसल लेनी है, कैसे और कितना उत्पादन करना है, कब और कहाँ बेचना है ये बाते निर्धारित कर पायेंगे।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत है, जो समग्र विकास, बहु-विषयक शिक्षा, फ्लेग्जिबिलिटी, प्रौद्योगिकी, शिक्षक सशक्तिकरण और मूल्यांकन सुधारों पर केंद्रित है। यह छात्र-केंद्रित, समावेशी और भविष्य की शिक्षा प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करती है।

    मुझे विशेष रूप से इस बात कि ख़ुशी है कि, विश्वविद्यालय के 35 प्रति शत से अधिक स्नातक और 61 प्रति शत से ज्यादा पदव्युत्तर स्नातकोने विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त किए है। कुछ स्नातकोने खुद के उद्योग शुरू किए है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहित करती है। यह बिल्कुल उचित है कि विश्वविद्यालय ने 30 से अधिक राष्ट्रिय संस्थानो, 7 आंतरराष्ट्रीय, 14 उद्योग और 250 किसान उत्पादक कंपनियों के साथ MOU किए है। आंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय ने परड्यू विश्वविद्यालय, अमेरिका और G I Z जर्मनी के साथ शोध कार्य शुरू किया है।

    भारत सरकार ने किसान सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी है। किसानों की आय दोगुनी करना, उन्हें और उनके प्रयासों को सुरक्षित करना, उन्हें टेक्नॉलॉजी – फ्रेंडली बनाना, कृषि अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देना और कृषि से संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण करना आदी कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

    भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है।

    किसान जैविक उर्वरकों का विकल्प चुन रहे हैं और सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों से परहेज कर रहे हैं।

    कई किसान अपने खेतों में सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।

    लोग मृदा स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हैं।

    कई विश्वविद्यालयों द्वारा पोषक तत्वों का छिड़काव करने और फसलों की निगरानी के लिए ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा हैं।

    मैं विश्वविद्यालय से विशेष रूप से आग्रह करूंगा कि वे यह सुनिश्चित करें कि आपके विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कृषि उपकरण किसानों तक पहुंचें। कृषि विस्तार कार्य एवं किसान मेले विभिन्न स्थानों पर आयोजित किये जायें।

    हॉर्टिकल्चर एक और उच्च विकास वाला क्षेत्र है जिस पर उचित ध्यान और प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

    महाराष्ट्र में बागवानी के साथ-साथ कुछ जिलो में फूलों की खेती की भी जबरदस्त संभावनाएं हैं।

    हमें पशुधन, पोल्ट्री, जलीय कृषि जैसे संबद्ध क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि उनमें मजबूत विकास क्षमता है और वे बेहतर कृषि आय अर्जित करते हैं।

    महाराष्ट्र खाद्य प्रसंस्करण में कई स्टार्टअप को बढ़ावा दे सकता है।

    खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र भारत के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उद्योग और कृषि के बीच मजबूत संबंधों और अंतःक्रियाओं को बढ़ावा देता है।

    हमें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है।

    हमें खेती को सक्षम बनाने के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

    बढ़ती जनसंख्या और विशेष कर के मराठवाडा में भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए जल प्रबंधन के विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

    अब समय आ गया है कि हम पानी के संरक्षण, वाटर शेड योजनाओं की तैयारी, वर्षा जल संचयन और पानी के पुनर्चक्रण के लिए एक समग्र जल प्रबंधन योजना बनाई जाये।

    हमें बताया गया है कि विश्वविद्यालय सप्ताह में दो बार मौसम की जानकारी प्रदान कर रहा है जिससे राज्य के 12.67 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुये है।

    हमें किसानों को सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता है।

    ऐसे कई तरीके हैं जिनसे एआई किसानों की मदद कर सकता है, जैसे मिट्टी की निगरानी, फसल की बीमारी, सिंचाई, पशुधन की निगरानी, कृषि रोबोटिक्स, मौसम का पूर्वानुमान आदि।

    एक किसान का बेटा होने के नाते, मुझे ख़ुशी हुई कि, बदलते मौसम के मद्देनजर विश्वविद्यालय ने ज्यादा उत्पाद देनेवाली सोयाबीन की किस्म विकसित की है, जिसका फायदा लाखो किसान ले रहे है।

    वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया गया।

    बाजरा या श्री अन्न किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रहा है क्योंकि फसल को कम पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है।

    मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि, विश्वविद्यालय ने ज्वार की पहली बायो-फोर्टिफाइड किस्म ‘परभणी शक्ति’ विकसित की है, जो लौह और जिंक से भरपूर है। इसी तरह बाजरा अनुसंधान केंद्र ने दो भी बायोफोर्टिफाइड संकर जारी किए हैं, जो आयरन और जिंक से समृद्ध हैं।

    मित्रों,

    आने वाले वर्षों में हमें आसन्न चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखना होगा:

    भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनकर उभरा है।

    हमारे पास खेती के लिए जनशक्ति और खेती की जानकारी है।

    हालाँकि खेती का रकबा लगातार घट रहा है।

    हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर और चयनित क्षेत्रों में खाद्य अधिशेष बनने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति की आवश्यकता होगी।

    जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर का ख़तरा नहीं है – यह एक वास्तविकता है जिससे दुनिया भर के किसान रोज़ जूझ रहे हैं।

    बढ़ते तापमान, अनियमित मौसम पैटर्न, कीटों और बीमारियों का बढ़ता दबाव और वर्षा के बदलते पैटर्न ने कृषि को पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

    विश्वविद्यालय को किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पूरी जानकारी देकर तैयार रखना होगा।

    प्रिय स्नातक छात्रों,

    मुझे आपसे बहुत उम्मीदें हैं।

    वर्ष 2047 में जब भारत एक विकसित राष्ट्र होगा, आप सभी अपने करियर के शिखर पर होंगे।

    आपके पास भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और देश को दुनिया की ‘फूड बास्केट’ में बदलने में अपनी भूमिका निभाने का अनूठा अवसर है।

    अपनी स्थापना से यह विश्वविद्यालय लगातार कृषि शिक्षा एवं तकनीकी ज्ञान में सतत कार्यरत है। भविष्य में भी अपना योगदान मराठवाडा एवं देश के विकास में देता रहे ऐसी मेरी शुभकामना है।

    मैं एक बार फिर विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं और उसके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।