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    13.06.2024 : ऑनलाइन: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय का 64 वां वार्षिक दीक्षांत समारोह

    Publish Date: June 13, 2024
    ऑनलाइन: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय का 64 वां वार्षिक दीक्षांत समारोह

    ऑनलाइन: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय का 64 वां वार्षिक दीक्षांत समारोह। 13 जून 2024

    डॉ. आशिष लेले, निदेशक, CSIR नॅशनल केमिकल लॅबोरेटरी

    प्रोफेसर डॉ. विजय फुलारी, कुलपति, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय

    डॉ. वाल्मिक सरोदे, प्रति कुलगुरू

    डॉ. भारती गवली, निदेशक, परीक्षा एवं मूल्यांकन बोर्ड

    डॉ. प्रशांत अमृतकर, रजिस्ट्रार

    सीनेट तथा प्रबंधन परिषद के सम्मानित सदस्य,

    डीन, संकाय सदस्य

    पूर्व छात्र, स्नातक छात्र और अभिभावक गण

    सभी को सुप्रभात एवं शुभकामनाएँ।

    डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के 64 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज आप को संबोधित करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है।

    वास्तव में आज मैं विश्वविद्यालय का दौरा करना चाहता था और आप को व्यक्तिगत रूप से संबोधित करना चाहता था। लेकिन कुछ व्यस्तताओं के कारण मैं विश्वविद्यालय नहीं आ सका।

    महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक, ऐसे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र – छात्राओं को मै बधाई देता हूं।

    आज पीएच डी और स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को मै विशेष रूप से बधाई देता हूं।

    यह प्रसन्नता की बात है कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओंकी संख्या निरंतर बढ रही है।

    प्यारे विद्यार्थियों, दीक्षांत समारोह का दिन केवल आपके लिए ही नहीं, बल्कि सभी प्राध्यापकों और आपके माता-पिता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण एवं हर्ष और आनंद का दिन है।

    मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

    मैं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।

    मराठवाडा धर्म, अध्यात्म, साहित्य, कला और संस्कृति का अनूठा संगम है। यहां शैव परंपरा की एलोरा गुफाएं है। यहीं जैन दर्शन की परंपरा भी दिखाई देती है। अजंता की गुफाओं में बौद्ध दर्शन का प्रभाव दिखाई देता है।

    मराठवाड़ा महान संतों की भूमि रही है संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत एकनाथ, संत जनाबाई, समर्थ रामदास जैसे अनेक संत इस भूमि ने दिये है।

    इसी भूमि पर संत निपट निरंजन बाबा आये और इसी भूमि पर सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने भी वास्तव्य किया। इन सभी संतो ने महाराष्ट्र को जाति धर्म पंथ विहीन प्रगतिशील समाज का विचार दिया।

    निज़ाम शासन के लंबे वर्षों के दौरान मराठवाड़ा को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा। स्वामी रामानंद तीर्थ सहित मराठवाड़ा के कई नेताओं ने अत्याचारी निज़ाम शासन से मराठवाड़ा की मुक्ति के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

    यह बेहद गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय के नामकरण में भारत रत्न डॉ. बी आर अंबेडकर का नाम शामिल किया गया है। डॉ. अंबेडकर ने दलितों, पीड़ितों और श्रमिकों के उद्धार के लिये शिक्षा संस्थान खोले। विश्वविद्यालय के सभी स्नातक भाग्यशाली हैं कि उनकी आंखों के सामने डॉ आंबेडकर जैसे महान आदर्श हैं।

    इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की सूची बेहद गौरवशाली है। विश्वविद्यालय के स्नातक आपको देश विदेश के विभिन्न हिस्सों में मिलेंगे। इस विश्वविद्यालय ने राज्य और राष्ट्र को कुछ महान वकील, न्यायाधीश, पत्रकार, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, रंगकर्मी, उद्यमी और नवप्रवर्तक दिए हैं।

    उत्कृष्टता की इस परंपरा को आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी स्नातकों को और आगे बढ़ाना होगा।

    देवियों और सज्जनों,

    ज्ञान केवल तथ्यों या सूचनाओं का संग्रह नहीं है; यह वह कुंजी है जो समझ, ज्ञान और प्रगति के द्वार खोलती है।

    यह वह नींव है जिस पर सभ्यताओं का निर्माण होता है, और यह नवाचार और परिवर्तन का उत्प्रेरक है।

    ज्ञान हमें सशक्त बनाता है। यह व्यक्तियों को सही निर्णय लेने, अपने आस-पास की दुनिया को समझने और जीवन की जटिलताओं से निपटने में सक्षम बनाता है।

    साथ ही, ज्ञान आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है। आलोचनात्मक सोच एक स्वस्थ, संपन्न समाज की रीढ़ है। इसलिए मैं आपसे अपील करता हूं कि आप आजीवन ज्ञान के अन्वेषक बने रहें।

    विद्यार्थी मित्रों,

    एक अच्छा विश्वविद्यालय छात्र, अध्यापक और विद्वान लोगों का एक समूह होता है, जो ज्ञान, समझ, उत्कृष्टता और सत्य की खोज में एक साथ रहता और काम करता हैं।

    चूंकि विश्वविद्यालय एक समाज का हिस्सा होता है और समाज के भीतर काम करता है, इसलिए यह आवश्यक है की विश्वविद्यालय समाज और उसके लोगों की समस्याओं पर चर्चा, चिंतन और विचार-विमर्श करे।

    मराठवाड़ा की अपनी समस्याएं हैं। मराठवाड़ा के किसान दशकों से मौसम की चरम स्थितियों के कारण परेशान हैं। बाढ़, सूखा, फिर बाढ़ से उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है इस क्षेत्र को हमें पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाना।

    इसलिए विश्वविद्यालय को जलवायू परिवर्तन, पानी का संरक्षण, भूजल स्तर बढ़ाने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयासों में योगदान देना चाहिए।

    मराठवाड़ा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जपान, भूतान और अन्य कई देशों से टुरीस्ट मराठवाडा में आते है। विश्वविद्यालय को पर्यटन विभाग के साथ मिलकर काम करना चाहिए और अपने छात्रों को पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में नौकरियों तथा उद्यम के लिए तैयार करना चाहिए।

    आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन रहा है। भारत में पूरी दुनिया को जनशक्ति आपूर्ति करने की क्षमता है।

    यह जरूरी है कि स्नातक और छात्र विभिन्न नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा में आगे रहने और टिके रहने के लिए एकसाथ कई कौशल हासिल करें। कौशल के साथ उद्यमशीलता, नवाचार और जोखिम उठाने की क्षमता भी होनी चाहिए।

    मैं छात्रों से अपील करूंगा की वे उद्यमी बने, वेल्थ क्रिएटर्स और जोखिम लेने वाले बनकर देश का गौरव फिर से हासिल कर सकते हैं।

    इस अवसर पर मैं विश्वविद्यालय से अपील करूंगा कि :

    1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मानक स्थापित करे। यह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनेगा।

    2. ‘विकसित भारत’ उद्देश्य के मद्देनजर, अगले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को भारत के शीर्ष पचास विश्वविद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करें।

    3. ग्राम गोद लेने की परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण संबंधी सामाजिक गतिविधीयो में शामिल करें।

    4. राज्य के कौशल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करें और उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा दें।

    5. पूर्व छात्रों के संगठन को और मजबूत करे और सभी पूर्व छात्र – छात्राओं को विश्वविद्यालय विकास और विस्तार में शामिल करें।

    प्यारे विद्यार्थियों,

    अपनी शिक्षा और रुझान के अनुसार आप सब अपने करियर का चुनाव करने जा रहे हैं। लेकिन यदि आपका सपना केवल अपने करियर तक सीमित रहेगा, तो आप सब अपने साथ और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे।

    आपकी सोच का दायरा और आपकी ज़िम्मेदारी कहीं अधिक व्यापक होनी चाहिए।

    आप सबसे मैं अनुरोध करता हूं कि नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए आप नए सपने देखिए, और बड़े सपने देखिए।

    मैं एक बार फिर सभी स्नातक छात्रों को बधाई देता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वे अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय, राज्य और देश को गौरवान्वित करें।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।