04.04.2023 : भगवान महावीर जे के 2622 वे जन्मोत्सव पर भारत जैन महामंडल द्वारा श्री भगवान महावीर जन्म कल्याणक कार्यक्रम
भगवान महावीर जे के 2622 वे जन्मोत्सव पर भारत जैन महामंडल द्वारा श्री भगवान महावीर जन्म कल्याणक कार्यक्रम
परम पूज्य आचार्य श्री डॉ. प्रणाम सागरजी महाराज
राष्ट्र संत नम्रमुनी जी महाराज
आचार्य नय पद्मसागर जी महाराज
मुनीश्री डॉ. अभिजित कुमार जी एवं जागृत कुमार जी
गणिनी प्रमुख आर्यिका रत्न श्री जिनदेवी माताजी,
श्री सुभाष चंद्र रुणवाल, पूर्व अध्यक्ष, भारत जैन महामंडल,
श्री चिमणलाल डांगी, अध्यक्ष, भारत जैन महामंडल,
जैन समुदाय के श्रावक – श्राविकाओं
और आमंत्रित महानुभाव
सादर प्रणाम, जय जिनेन्द्र,
महावीर जयंती के पवित्र अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मैं अपने आप को सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।
जैसा कि मुझे ज्ञात हुआ है आज हम जैन धर्म के चौबीसवे तीर्थंकर भगवान महावीर का 2622 वां जन्म कल्याणक महोत्सव मना रहे है।
भारत की आध्यात्मिक विरासत जिन महापुरुषों की साधना, सेवा और प्रवचनों से समृद्ध हुई है उनमें एक बड़ा नाम है-वर्धमान महावीर का।
उनकी शिक्षाओं का भारतीय उपमहाद्वीप पर गहरा प्रभाव पड़ा है और उनसे प्रभावित होकर करोड़ों-करोड़ों लोगों ने अहिंसा और करुणा के परम पावन मार्ग को स्वीकार किया है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन अटूट और अटल आत्मबल का प्रतीक हैं। गांधी जी के विचारों पर अनेक जैन संतों एवं महात्माओं का गहरा प्रभाव रहा है।
गांधीजी के जीवन से विश्व के अनेक जाने माने महान व्यक्तियों ने प्रेरणा ली है।
खान अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हे सरहद गांधी भी बोलते थे, – मार्टिन ल्युथर किंग, नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, ऑन सॉंग सु क्यी, ज्युलियस न्यरेरे, डेसमंड टूटू जैसे अनेक विश्व नेताओं ने सत्य और अहिंसा का मार्ग स्वीकार किया तथा अनुसरण किया, जो जैन धर्म की देन है।
जैन धर्म के तीन प्रमुख सिद्धांत है-अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत।
अहिंसा हमें सिखाती है- विश्व के समस्त प्राणियों के साथ प्रेम, करुणा और मैत्री के साथ किस प्रकार रहा जा सकता है। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व किस प्रकार कायम किया जा सकता है।
अपरिग्रह का सिद्धांत हमें कम से कम संसाधनों के साथ भी प्रसन्नता के साथ रहना सिखाता है।
अनेकांत के माध्यम से हम सीख सकते हैं कि किस प्रकार अपने वैचारिक आग्रह को कम कर विनम्रता के साथ दूसरों के विचारों को समझा जाए और उपयोगी होने पर स्वीकार किया जाए।
महावीर के इन तीनों संदेशों की आज के परिदृश्य में सर्वाधिक आवश्यकता है।
आज आपसी मतभेदों और सामुदायिक तनावों से विभाजन बढ़ता जा रहा है।
रशिया – युक्रेन युद्ध थमने का नामोनिशान नजर नही आ रहा है। अनेक देशों की अर्थ व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है। पडोसी देशों में महंगाई चरम सीमा पर चली गई है। अन्न के लिये लोग मोहताज हो रहे है।
भारतीय समाज अनेकों शताब्दियों से वसुधैव कुटुम्बकम की पवित्र अवधारणा के साथ जीवन जीता आया है। समय आया है, हमें हमारे भीतर की करुणा फिर से जगाए।
इस देश में अनेक प्रकार के आक्रमणकारी आए और चले गए। उन्होंने भारत को लूटा, हमारी आध्यात्मिक धरोहरों को नष्ट किया, मगर हमारे भीतर जो प्रेम और सौहार्द की भावना से भरपूर हृदय है-उसे नष्ट नहीं कर पाए। महावीर जयंती के इस पावन अवसर पर हमें अपने उस गौरवशाली अतीत को याद करना है।
भारत की संस्कृति, सभ्यता और साहित्य वो संपदा है, जिसने भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाया है।
जैन समुदाय एक शांतिप्रिय, देश प्रेमी और आर्थिक दृष्टि से भारत की समृद्धि में योगदान देने वाला समुदाय है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में जैन समुदाय के लोगों का अभूतपूर्व योगदान रहा है।
जैन साधु-साध्वियां पदयात्रा करते हुए देश के कोने-कोने में जाते हैं और लोगों के जीवन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे मूल्यों का प्रचार प्रसार करते हैं।
भगवान महावीर की शिक्षाएं सादगीपूर्ण, नैतिक मूल्यों पर आधारित और आध्यात्मिक ज़िंदगी जीने के महत्व को रेखांकित करती है।
उनका विश्वास था कि असली खुशी और संतुष्टि त्याग और अनासक्ति से भरपूर जिंदगी जीने में है।
असली खुशी आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास में है।
करोना काल में जैन समाज ने मानवता और करुणा भाव का पुरे देश को फिर एक बार परिचय दिया। लगभग दो वर्ष तक जैन धर्म के दान वीर लोगों ने समाज के गरीब, दिव्यांग, अनाथ लोग तथा अबोल जीवों के खान -पान तथा दवाइयों की व्यवस्था की। इस पवित्र कार्य के लिये मै जैन समाज की प्रशंसा करता हुं। उन्हे धन्यवाद देता हुं।
आज, महावीर जयंती को मनाते हुए, हम उनकी शिक्षाओं पर विचार करते हुए और उन्हें हमारे दैनिक जीवन में समाहित करने का प्रयास करें।
आइए हम सभी मिलकर एक शांतिपूर्ण और करुणामय दुनिया का निर्माण करने का प्रयास करें जहां सभी मिलकर सहयोग और सम्मान के साथ रह सकें।
मैं भारत जैन महामंडल की प्रशंसा करना चाहूंगा जो भगवान महावीर की शिक्षाओं को प्रचारित करने के लिए वर्षों से निरंतर अथक प्रयास करती रही है।
भगवान महावीर की विरासत की सुरक्षा के लिए भारत जैन महामंडल द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वह हम सभी के लिए प्रेरणास्पद है।
मैं आप सभी को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र। जय जिनेन्द्र।