06.03.2024 : भारत मौसम विज्ञान की स्थापना के 150 वर्ष के उपलक्ष्य में ‘सीवियर वेदर एंड मिटिओरोलॉजिकल सर्विसेज़ इन सेंट्रल इंडिया’ – विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला
ONLINE : भारत मौसम विज्ञान की स्थापना के 150 वर्ष के उपलक्ष्य में प्रादेशिक मौसम केंद्र, नागपुर द्वारा आयोजित, ‘सीवियर वेदर एंड मिटिओरोलॉजिकल सर्विसेज़ इन सेंट्रल इंडिया’ – विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला। बुधवार, 6 मार्च 2024 सुबह 11 बजे
डॉ मृत्युंजय महापात्र, महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग,
श्री एम एल साहू, उपमहानिदेशक, प्रादेशिक मौसम केंद्र, नागपुर,
मौसम विभाग के सभी वैज्ञानिक, विभिन्न विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गण,
शोध छात्रों,
मौसम विज्ञान की सेवाओं, पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े सभी प्रतिनिधि, शोधकर्ताओं,
मीडिया के प्रतिनिधि, और
उपस्थित भाइयों और बहनों,
भारत मौसम विज्ञान विभाग, मौसम के पूर्वानुमान एवं चेतावनी संबंधित मामलों में, अपनी सेवा के 150 वां वर्ष मना रहा है।
इस मील के पत्थर को पूर्ण करने के लिए मैं विभाग के सभी वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ।
मुझे ख़ुशी हो रही है कि, 15 जनवरी 2025 को इस विभाग के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे है और वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रम की श्रृंखला में आज हम महाराष्ट्र की संतरा नगरी, नागपुर में एकत्रित हुए है।
वास्तव में ऑनलाइन उपस्थित रहने के बजाय प्रत्यक्ष रूप से संस्था का दौरा करने की मंशा थी।
पर समयाभाव और अन्य व्यस्तता ओं के कारण आज आपसे ऑन लाइन के जरिये ही बात कर रहा हूं।
प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र नागपुर मध्य भारत के कार्यालयों का मुख्यालय है जो मौसम संबंधी सेवाओं के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ क्षेत्र को सेवा प्रदान करता है।
मौसम संबधित पूर्वानुमान एवं प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी, अत्यंत दुष्कर कार्य है परन्तु भारत मौसम विभाग ने इस कार्य को 150 वर्षो से बड़ी तत्परता से निभाया है।
भारत मौसम विज्ञान के 150 स्थापना दिवस के एक वर्षीय कार्यक्रम के अंतर्गत “सीवियर वेदर एंड मिटिओरोलॉजिकल सर्विसेज़ ओव्हर सेंट्रल इंडिया” – इस विषय पर कार्यशाला आयोजित करने के लिये मै मौसम विभाग को बधाई देता हुं।
एक राज्यपाल, और उससे पहले एक किसान के बेटे के रूप में, पर्यावरण का दिनो दिन हो रहा क्षरण मेरे लिए चिंता का विषय बना है।
मै छत्तीसगढ़ से हूँ जिसे “धान का कटोरा” कहा जाता है।
धान के उत्पादन के लिए किसान मानसून पर निर्भर होते है।
मैंने अनुभव किया है कि बाढ़ और सूखे के कारण उत्पन्न होने वाली परिस्थितियां हमारे किसानों यानी देश के अन्नदाताओं को, बहुत प्रभावित करती है। यही कारण है कि मुझे इस विषय में अधिक रुचि है।
मुझे बताया गया है कि चक्रवात, बाढ़, सूखा, लू, पाला पड़ना, आंधी-तूफान, ओले गिरने और बिजली गिरने जैसे प्राकृतिक आपदाओं के समय, मौसम विज्ञान किस तरह अपनी सेवाओं के माध्यम से सभी तक पहुंच रहा है।
आज मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी किसानों, डिजास्टर मैनेजमेंट (आपदा प्रबंधन) तथा सरकारी एजेंसियों को ख़राब मौसम के प्रकोप से बचाने और नुकसान होने से रोकने में बहुत मदद करती है।
इस कार्यशाला से आने वाली सिफारिश मौसम पूर्वानुमान को एक नए आयाम तक पहुंचाने में मदद करेगा ऐसी मैं आशा करता हूँ।
मौसम विभाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को यहाँ प्रर्दशनी में देखा जा सकता है। प्रदर्शनी में रखे उपकरणों पर रोचक जानकारी हासिल की जा सकती है।
अपनी सेवाओं के माध्यम से विभाग न केवल राज्य के विकास बल्कि देश के विकास में अद्भुत योगदान दे रहा है।
एक समय था, जब न तो उपग्रह था और न ही रडार उपलब्ध था। आधुनिक संचार साधन भी नही थे। टेलीग्राम के माध्यम से प्राप्त आकड़ो को मानचित्रों पर प्लॉट किया जाता, मौसम संबंधित विश्लेषण किया जाता था और पूर्वानुमान जारी किया जाता।
सीमित सुविधाओं में भी मौसम विभाग ने अपनी भूमिकाओं को निभाया है।
अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए मौसम विभाग ने 150 वर्षों की अपनी लंबी और शानदार यात्रा की है।
आज मौसम विभाग नई तकनिक के रडार और उपग्रह से सज्जित है। अब मोबाइल में भी ये चित्र आसानी से देखे जा सकते है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के साथ मौसम का पूर्वानुमान महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है।
एआई बड़ी मात्रा में वायुमंडलीय डेटा को तेजी से संसाधित करके मौसम की भविष्यवाणी की सुविधा प्रदान करता है। इससे मौसम पूर्वानुमान में उल्लेखनीय विकास हुआ है।
मुझे खुशी है कि आज इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में मौसम वेधशाला भवन और विदर्भ में चंद्रपुर की नई वेधशाला का उद्घाटन भी किया गया।
समय के साथ-साथ मौसम विभाग अपने नेटवर्क में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है जो मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।
मौसम विभाग आज न केवल पृथ्वी की सतह बल्कि ऊपरी वायुमंडल में, समुद्र, पहाड़ी इलाकों और रेगिस्तान जैसे दूरदराज के इलाकों में भी एक बहुत ही विस्तारित अवलोकन प्रणाली लगा रहा हैं।
मुझे खुशी है कि आज की कार्यशाला का विषय मुख्य रूप से “बहुत ख़राब मौसम और मध्य भारत मे मौसम विज्ञान की सेवाओं” से संबंधित है।
यह कार्यशाला, किसानों, शोधकर्ताओं, विश्वविद्यालय के छात्रों, आपदा प्रबंधनकर्ताओं, इत्यादि उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को विशेष महत्व दे रहे है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली जान माल की हानि को न्यूनतम रखने के लिए राज्य एवं कैबिनेट स्तर पर विशेष समीक्षा भी की जाती है।
पिछले कुछ वर्षों में मौसम विभाग द्वारा जारी प्रारंभिक चेतावनियों और पूर्वानुमानों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और चक्रवातों और भारी बारिश के कारण मानव जीवन की हानि बहुत कम हो गई है।
मुझे ख़ुशी है कि भारत मौसम विज्ञान पर्यावरण में होने वाले बदलाव, ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत विषयों पर जानकारियां प्रदान करता है।
पर्यावरण परिवर्तन का विषय केवल सम्मेलनों और चर्चाओं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए।
यह आज की आवश्यकता है और भविष्य में पृथ्वी पर जीवन के लिये अति आवश्यक है।
छोटी-छोटी बातें भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह हमारी जीवनशैली और विचार प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनना चाहिए।
मैं आप सभी की इस पहल की सराहना करता हूं और आपके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर मौसम विभाग को उसके 150 वें स्थापना दिवस पर बधाई देता हूं एवं इस सुंदर आयोजन के लिए प्रादेशिक मौसम केंद्र, नागपुर का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। आप सभी को आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।