23.11.2023 : गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह
गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह। दिनांक 23 नवंबर 2023
श्री अजय कुमार मिश्रा जी, गृह राज्य मंत्री, भारत सरकार
सुश्री अंशुली आर्या जी, सचिव, राजभाषा विभाग
सुश्री डॉ. मीनाक्षी जौली जी, संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग
श्री भुवन चंद्र पाठक, CMD, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
मध्य एवं पश्चिम क्षेत्र के विभिन्न कार्यालयों से आए अधिकारीगण
राजभाषा विभाग के अधिकारीगण
मीडिया के हमारे साथियो
सभागार में उपस्थित महानुभावो, देवियो और सज्जनो !
2. राजभाषा विभाग द्वारा मध्य और पश्चिम क्षेत्रों में स्थित, केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों के लिए आयोजित किए जा रहे संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में आप सब के बीच उपस्थित होकर मैं बहुत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।
पूरे देश में स्थित केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों आदि में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है।
3. भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है जिसमें वह देश संवाद करता है, अपने भावों को अभिव्यक्त करता है। राष्ट्र की पहचान इस बात से भी होती है कि उसने अपनी भाषाओं को किस सीमा तक मजबूत, व्यापक एवं समृद्ध बनाया है।
भाषा हमारे विचारों का परिधान होती है। हिंदी भाषा में भारत के वह विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्य हैं, जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं।
4. हिंदी एक समृद्ध, सशक्त एवं सरल भाषा है। अपनी उदारता, व्यापकता एवं ग्रहणशीलता के कारण हिंदी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की पूरक है। हिंदी भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत की भावात्मक एकता को मज़बूत करने का सशक्त ज़रिया भी है।
5. राज्यपाल के रूप में, मैं अक्सर राजदूतों, महावाणिज्य दूत और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मिलता हूं। मुझे आश्चर्य है कि विश्व के कुछ देशों के राजनयिक हिंदी के अच्छे जानकार हैं और आसानी से हिंदी में बातचीत कर सकते हैं।
विश्व के कई विश्वविद्यालयों में समर्पित हिन्दी विभाग हैं। दुर्भाग्य से हम अपनी ही भाषा को लेकर हीन भावना से ग्रस्त हैं।
6. कुछ अंग्रेजी माध्यम स्कूल माता-पिता और छात्रों से घर पर भी केवल अंग्रेजी में बात करने के लिए कहते हैं। हिंदी या मराठी या अपनी मातृभाषा में बोलना हेय दृष्टी से देखा जाता है। नतीजा यह है कि बच्चे हिंदी में या अपनी मातृभाषा में बात करने से झिझकते हैं।
7. इससे भी ज्यादा दुख मुझे तब होता है, जब हमारे हिंदी सिनेमा के कई फिल्मी सितारे हिंदी बोलने से कतराते है और अक्सर अंग्रेजी में ही बात करते हैं।
8. देश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान स्वराज्य, स्वदेशी और स्वभाषा पर ज़ोर दिया गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने हिंदी को सीधे तौर पर राष्ट्रीय एकता से जोड़ा।
आचार्य विनोबा भावे ने अपने ऐतिहासिक भू-दान आंदोलन की सफलता का श्रेय हिंदी को दिया था। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन बनाया और इसमें ‘हिंदुस्तानी’ भाषा का स्थान सबसे ऊंचा था।
9. संविधान ने हम सब पर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग-प्रसार का दायित्व सौंपा है। यह कार्य सामूहिक सहयोग और सदभावना से ही संभव है। स्वैच्छिक प्रयोग से भाषा की व्यापकता में वृद्धि होती है, भाषा समृद्ध होती है और उसका स्वरूप निखरता है।
10. हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबका साथ सबका विकास। हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्वपूर्ण कर्तव्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी।
11. सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी मानी जाएंगी जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और सरकार की योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले। हमारा लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है जब हम जन-जन तक उनके हित की बात उनकी ही भाषा में पहुंचाएं।
12. किसी भी देश में स्वतंत्र चिंतन का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक उसके निवासी अपनी मातृ-भाषा में अपना चिंतन एवं लेखन नहीं करें। जो भी भाषाएं भारत में बोली जाती हैं वे सभी ‘राष्ट्र की भाषाएं’ हैं। उनमें परस्पर कोई द्वंद्व नहीं है, वे सभी एक दूसरे की पूरक हैं। हिंदी का उदभव एवं विकास भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हुआ है। मूलत: ये सभी भाषाएं भारत की संस्कृति की मिट्टी से ही उत्पन्न हुई हैं।
13. संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसरण में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित एवं लोकप्रिय शब्दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्द भंडार को निरंतर समृद्ध करने की आवश्यकता है। चाहे महाराष्ट्र में बोली जाने वाली भाषा-मराठी हो जो कि महाराष्ट्र में जन-जन से जुड़ी हुई है अथवा भारत के अन्य प्रदेशों की भाषाएं हों, यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय भाषाओं का परिरक्षण, संवर्धन और विकास किया जाए तथा इनके बीच निरंतरता से परस्पर संवाद कायम किया जाए ताकि भारतीय साहित्य समृद्ध हो सके।
14. वर्तमान युग में तकनीकी, वैज्ञानिक, व्यावसायिक व विभिन्न विधाओं का नवीनतम ज्ञान प्रगति हेतु आवश्यक है। इस हेतु हमें भारतीय भाषाओं में उच्च कोटि के लेखन को बढ़ावा देना होगा। इसमें मौलिक के साथ-साथ अनुवाद कार्य भी होंगे जिससे हमारा ज्ञान भंडार बढ़ेगा और इसे विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना होगा।
हिंदी निर्विवाद रूप से देश की राजभाषा के साथ-साथ संपर्क भाषा भी है, इसलिए हिंदी में विषय सामग्री की समृद्धि से दूसरी भारतीय भाषाओं का भी विकास होगा।
15. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा पर जोर दिया गया है। अनेक पुस्तकों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि 2047 तक हिंदी बिना किसी थोपे राष्ट्र की भाषा बन जाए।
16. भाषा का सबसे अच्छा विकास और उसका प्रचार-प्रसार स्वप्रेरणा से, स्वेच्छा से होता है। मैं आप सब से अनुरोध करता हूं कि आप इस कार्य को राष्ट्रीय कर्तव्य समझ कर आगे आएं तथा अपने-अपने स्तर पर जितना संभव हो, योगदान करें।
17. मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूँ और आशा करता हूं कि सभी पुरस्कार विजेता भविष्य में अपने लिए उच्च मानदंड स्थापित करके अपने-अपने कार्य-क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहेंगे।
18. मैं राजभाषा विभाग को इस सफल आयोजन के लिए बधार्इ देता हूं। आप सब को मेरी शुभकामनाएं।
धन्यवाद !
जय हिंद ! जय महाराष्ट्र !!