23.08.2023 : मुंबई मराठी पत्रकार संघ द्वारा स्थापित आचार्य अत्रे सम्मान समारोह, स्थान: पत्रकार भवन, आझाद मैदान, मुंबई
मुंबई मराठी पत्रकार संघ द्वारा स्थापित आचार्य अत्रे सम्मान समारोह, स्थान: पत्रकार भवन, आझाद मैदान, मुंबई
श्री नरेंद्र वाबले, अध्यक्ष मुंबई मराठी पत्रकार संघ
श्री मधुकर भावे जी, वरिष्ठ पत्रकार
श्री संदीप चव्हाण, सचिव
श्री विष्णू सोनवणे, सह सचिव, मुंबई मराठी पत्रकार संघ
आज के सत्कार मूर्ति श्री विजय वैद्य और उनके परिवार जन
श्री योगेश त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार
मुंबई मराठी पत्रकार संघ के सदस्य और पदाधिकारी
आज जिनका सम्मान हुआ ऐसे होनहार छात्र-छात्राएं
देवियों और सज्जनों
मुझे मुंबई मराठी पत्रकार संघ का दौरा करके वास्तव में खुशी हुई है।
इस वर्ष फरवरी में महाराष्ट्र के राज्यपाल पद का पदभार संभालने के बाद कुछ पत्रकारों से मिलना हुआ।
लेकिन, इस कार्यक्रम ने मुझे अनेक पत्रकारों से एकसाथ मिलने का अवसर दिया है। मुंबई मराठी पत्रकार संघ का अपना विशिष्ट इतिहास रहा है।
इक्कीस जून 1941 को स्थापित, मुंबई मराठी पत्रकार संघ ने, स्वतंत्रता आंदोलन और उसके बाद संयुक्त महाराष्ट्र गठन के, जन आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है।
महाराष्ट्र गठन के बाद, पत्रकार संघ ने राज्य में जनतंत्र को मजबूत करने, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुंबई मराठी पत्रकार संघ में समय-समय पर देश के प्रधान मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, तथा देश के जाने माने नेताओं का दौरा होता रहा है। राज्य के अनेक जाने माने संपादक और साहित्यकर्मी संस्था के अध्यक्ष रह चुके हैं।
मैं मुंबई मराठी पत्रकार संघ को समाज और बड़े पैमाने पर पत्रकार बिरादरी में उसके विविध योगदान के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।
देवियों और सज्जनों,
श्री विजय वैद्य को ‘आचार्य अत्रे’ पुरस्कार प्रदान करके, हम केवल एक व्यक्तिगत पत्रकार का सम्मान नहीं कर रहे हैं, हम मानवीय चेहरे के साथ पत्रकारिता की एक महान परंपरा का सम्मान कर रहे हैं।
मुझे ज्ञात किया गया है कि, इसके पहले यह सम्मान अनेक जाने माने पत्रकार – संपादकों को दिया गया है, जिसने इस पुरस्कार की गरिमा निरंतर बढाई है।
श्री विजय वैद्य जी ने पत्रकारिता को व्यापक जनहित हासिल करने का एक उपकरण बनाया है। उनके लिए पत्रकारिता कोई अंतिम उद्देश्य नहीं है। उनकी पत्रकारिता आम आदमी की, इस देश के लाखों बेजुबानों की गुहार, सरकार तक पहुंचाने का एक साधन रहा है।
एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कितना बड़ा कार्य कर सकता है, यह जानना है, तो श्री विजय वैद्य की जीवनी पढनी चाहिये। श्री विजय वैद्य जी, अनंत, अक्षय उर्जा के स्त्रोत है। वे सभी पत्रकारों के लिये पथदर्शक है। उन्हे सम्मानित करना याने ध्येय प्रेरित पत्रकारिता का सम्मान करना है। उन्हे सम्मानित करना याने समाज की अच्छाइयों का सम्मान करना है। उनका सम्मान यह मनुष्य के भीतर मौजूद देवता का सम्मान करना है।
आचार्य प्रल्हाद केशव अत्रे एक जाने माने लेखक, कवि, वक्ता, शिक्षाविद तथा ‘मराठा’ के संस्थापक – संपादक थे। २०२३ वर्ष आचार्य अत्रे जी का १२५ वा जयंती वर्ष है। इस वर्ष में, आचार्य अत्रे के नाम से दिये जाने वाले पुरस्कार से गौरवान्वित किये जाने के लिये मै श्री विजय वैद्य जी का हृदय की गहराई से अभिनंदन करता हूं।
लोकमान्य तिलक, अगरकर, वीर सावरकर, डॉ. अम्बेडकर और आचार्य अत्रे सहित महाराष्ट्र के कई नेता समान रूप से प्रतिभाशाली लेखक – पत्रकार थे जिन्होंने न्याय और स्वतंत्रता के लिए लोगों की मांगों को अभिव्यक्ति देने के लिए कलम के शक्तिशाली माध्यम का इस्तेमाल किया।
आचार्य अत्रे, संयुक्त महाराष्ट्र के निर्माण के लिए, सबसे मजबूत आवाज़ों में से एक थे।
महाराष्ट्र के पत्रकार भाग्यशाली हैं कि उनके सामने ऐसे पुरुषों और महिलाओं की आकाशगंगाएँ हैं जिन्होंने जनमत को आकार देने के लिए अपनी कलम की ताकत का इस्तेमाल किया।
पत्रकार, समाज की आंख और कान होते हैं। वे लोकतंत्र के प्रहरी और नागरिकों के अधिकारों के रक्षक हैं। जनमत तैयार करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्ष 1995 के बाद, हमने देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का आगमन देखा है।
पिछले दशक में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया का उभार देखा गया है।
शुक्र है कि, भारत में, सभी मीडिया शांतिपूर्वक मौजूद हैं और एक दूसरे के पूरक हैं।
मीडिया क्रांति के बावजूद, प्रिंट मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखी है, जिसके लिए आप सभी हार्दिक बधाई के पात्र हैं।
आज मीडिया के सामने अपनी प्रासंगिकता और निष्पक्षता बनाए रखने की चुनौती है। मेरा दृढ़ता से मानना है कि, मीडिया को जनता के आम जिंदगी से जुड़ी खबरें देनी चाहिए। ‘जजमेंट’ देने की भूमिका नहीं निभानी चाहिए, जैसा कि मीडिया में कुछ लोग करते हैं।
हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि फैशन और जीवनशैली, कुछ चुनिंदा लोगों के लिए प्राथमिकता का विषय हो सकती है, लेकिन अस्तित्व और आजीविका के मुद्दे, हमारे अधिकांश लोगों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।
शहरों और हमारे अपने पिछड़े क्षेत्रों में, विकास के स्तर के बीच भारी असमानता मौजूद है।
इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी विकास की वही आकांक्षाएं हैं जो हमारी हैं।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि, राज्य के सुदूर कोने में रहने वाले लोगों, आदिवासियों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों, विकलांगों, अल्पसंख्यकों, किसानों और विशेष रूप से महिलाओं, इन सभी श्रेणियों की समस्याओं को मीडिया में प्रमुख स्थान मिले। इससे मीडिया, लोगों के लिए, प्रासंगिक बनेगा।
हाल के सप्ताहों में हमने पत्रकारों पर हमले की घटनाएं देखी हैं। विभिन्न संगठनों के पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिला। मैं दोहराता हूं कि लोकतांत्रिक समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। मैं पत्रकारों पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमें सर्वसम्मति से ऐसे हमलों की निंदा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों। पत्रकारों के उत्पीड़न या पिटाई को कोई भी उचित नहीं ठहरा सकता।
आज सम्मानित सभी छात्र-छात्राओं का सफलता के लिये अभिनंदन करता हुं तथा उनके शानदार करियर की कामना करता हूं।
अंत में, मुझे आमंत्रित करने के लिए, मुंबई मराठी पत्रकार संघ को धन्यवाद देता हूं और आज के प्रतिष्ठित आचार्य अत्रे पुरस्कार विजेता श्री विजय वैद्य को बधाई देता हूं।
धन्यवाद !
जय हिन्द ! जय महाराष्ट्र !!